स्वामी विवेकानन्द जी का व्यक्तित्व काफी निर्मल, निर्भीक एवं क्रांतिकारी था। जिसमें एक साथ संत की पावनता ,शेर की निर्भीकता एवं निर्माण के शंखनाद विद्यमान थे। मूलतः यही कारण है कि विवेकानन्द का स्मरण मात्र से उनके बहुमुखी व्यक्तित्व साकार हो उठता है। स्वामी जी अपने युग के सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वमान्य समाज सुधारक के रूप में जाने जाते हैं। अपनी जनता के प्रति भारतीय वांग्मय स्वामी विवेकानन्द जी की तरह जनता को असीम प्यार एवं स्नेह करने वाला और सही दिशा-निर्देश देने वाला कोई ऐसा समाज सुधारक नहीं हुआ ।