विवेकानन्द केन्द्र का प्राणस्वर योग है। गत 21-22 मार्च, 2015 की भीलवाड़ा में आयोजित वार्षिक बैठक में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष माननीय निवेदिता दीदी का प्रवास में माननीय एकनाथजी रानडे के जन्मशती पर्व पर केन्द्र कार्य को विस्तारशः आगे बढ़ाने पर दीदी का सार्थक उद्बोधन हुआ एवं तत्पश्चात हुए विचार-मंथन से मुझे लगा कि क्यो
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हमारे देश में कहीं भी विविधता नहीं है अपितु एकता ही दिखाई देती है। भारतीय संकल्पना ही कर्म के माध्यम से ईश्वर को प्राप्त करने की है और यह कर्म यदि कहीं एकात्मता से किया जा सकता है तो वह विवेकानन्द केन्द्र ही है। ईश्वर प्राप्ति की दिशा में पहला कदम स्वयं को जानना है और स्वयं को जानने के उपरांत राष्टं की संकल्पना समझ में जा सकती है और उसी से हमें धर्म की सही परिभाषा का ज्ञान हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक ध्येय होना चाहिए
विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, शाखा - भीलवाड़ा: 20 मार्च को मेवाड़ चेम्बर डवलमेन्ट ट्रस्ट एवं विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी शाखा - भीलवाड़ा की ओर से आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता माननीय निवेदिता दीदी ने भीलवाड़ा शहर के प्रसिद्ध युवा उद्योगपतियों के बीच में ‘व्यावहारिक जीवन में आध्यात्मिक दृष्टिकोण’ इस विषय पर बोलते हुए बताया कि अगर जीवन में (1) समत्व यानि आत्मभाव में स्थित रहना, भावनात्मक से भी अधिक आध्यात्मिक बनना। (2) सन्तोष अर्थात् आनन्द प्राप्त करना। (3) सर्वसमावेशक अर्थात् सबको जोड़ने वाला एवं पूर्णत्व की ओर जाने वाला। (4) संयम अर्थात् फायदे के लिए देश, समाज को नुक