विवेकानन्द केन्द्र का प्राणस्वर योग है। गत 21-22 मार्च, 2015 की भीलवाड़ा में आयोजित वार्षिक बैठक में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष माननीय निवेदिता दीदी का प्रवास में माननीय एकनाथजी रानडे के जन्मशती पर्व पर केन्द्र कार्य को विस्तारशः आगे बढ़ाने पर दीदी का सार्थक उद्बोधन हुआ एवं तत्पश्चात हुए विचार-मंथन से मुझे लगा कि क्यों न अंतराष्ट्रीय योग दिवस के परिप्रेक्ष्य का लाभ लेते हुए विभाग स्तर पर योग सत्रों का आयोजन हो एवं इसके माध्यम से कार्यकर्ता निर्माण की एक प्रक्रिया प्रारंभ की जाए। इसी विचार को लेकर पिछले अप्रैल, मई एवं जून माह में अजमेर विभाग की ओर से पांच योग सत्रों का आयोजन किया गया। इन योग सत्रों का उद्देश्य निर्धारित करते हुए सत्रों के विभिन्न नामकरण भी किए गए यथा तरुरणभेरी योग सत्र, युवा कौशल्य योग सत्र, उठो जागो योग सत्र इत्यादि। स्थान स्थान पर लगाए गए इन योग सत्रों में विभिन्न आयु वर्ग के लोगों ने सहभागिता की तथा अपने अनुभवों को भी साझा किया। इन सत्रों के द्वारा लोगों को योग के वास्तविक अर्थ को समझने में सहायता मिली। योग सत्रों में न केवल व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया अपितु सैद्धांतिक प्रशिक्षण में अष्टांग योग संकल्पना की पूर्ण जानकारी विभिन्न दृष्टांतों के साथ प्रस्तुत की गई। इन योग सत्रों का आयोजन अजमेर विभाग द्वारा 21 जून को आयोजित होने वाले प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के परिप्रेक्ष्य में पूर्व तैयारी हेतु किया गया था। इन सत्रों का लाभ योग चेतना के विस्तार में तो मिला ही साथ ही समाज में छिपी हुई दिव्य मूर्तियों से केन्द्र का परिचय हुआ तथा वे अब योग वर्गों के माध्यम से केन्द्र कार्य को आगे ले जाने में तन्मयता से जुड़ रहे हैं। इन योग सत्रों के सूत्रधार के रूप में मेरा किंचित सहयोग रहा है अतः इन योग सत्रों से जुड़े अनुभवों को साझा करने का प्रयास कर रहा हूँ जिससे केन्द्र कार्यकर्ता के रूप में हम केन्द्र के प्राणस्वर ‘योग’ की उपादेयता को समझ सकें।
प्रथम योग सत्र विवेकानन्द केन्द्र के रामकृष्ण विस्तार में वीर हकीकतराय उद्यान, शास्त्री नगर, अजमेर में आयोजित हुआ जिसमें अधिकांश वरिष्ठ आयु के व्यक्तियों का जुड़ाव हुआ। इस सत्र के संयोजक विभाग सह-प्रमुख श्री अविनाश शर्मा रहे तथा नगर संगठक श्वेता टाकलकर का सान्निध्य रहा। योग सत्र के समापन पर विवेकानन्द केन्द्र की प्रान्त संगठक रचना दीदी का मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ। इस सत्र के अधिकांश सदस्य पूर्व में ही योग से जुड़े थे तथा नियमित योगाभ्यास करते थे। योग सत्र के समापन के अवसर पर अधिकांश लोगों का मत रहा कि आज तक हम केवल योग को शारीरिक अभ्यास ही समझते रहे। इस योग सत्र के बाद हमें ज्ञात हुआ कि वास्तव में योग क्या कर सकता है। लगभग सभी लोगों ने इस योग सत्र को अपने जीवन का एक नया अनुभव बताया एवं अब यह योग सत्र नियमित योग वर्ग में परिवर्तित हो चुका है एवं शास्त्री नगर अजमेर के एकलव्य पार्क में निरंतर संचालित है।
द्वितीय योग सत्र विवेकानन्द विस्तार में गांधी भवन पार्क, आदर्श नगर, अजमेर में आयोजित हुआ। इस योग सत्र में 60 लोगों ने पंजीकरण कराया। प्रथम तीन दिवसों में लोगों के अनुभव मिले जुले रहे किंतु चतुर्थ दिवस से दसवें दिवस तक यह योग सत्र के पारिवारिक योग सत्र में परिवर्तित हो गया। सभी लोग आपस में एक दूसरे की चिंता करते एवं पूर्ण योग संकल्पना में गांधी भवन पार्क की सफाई का कार्य हो, अथवा जलनेति एवं वमन धौति की क्रियाएं हों, सभी में पूर्ण मनोयोग से सहभागिता की गई। इस सत्र में प्रथम बार यह भी प्रयोग किया गया कि जिस दिन रविवार होगा उस दिन योग सत्र के साथ ही केन्द्र वर्ग का भी आयोजन होगा। दिनांक 3 से 12 मई के दौरान 10 मई को आए रविवार को नगर के समस्त पदाधिकारियों के साथ योग सत्र में केन्द्र वर्ग का आयोजन हुआ जिससे सभी सभी सहभागियों का केन्द्र की कार्यपद्धति से सहज ही परिचय होगया। इस सत्र के समापन पर प्रान्त प्रमुख माननीय भगवान सिंह जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। इस योग सत्र में आए अनुभव बड़े ही रोचक रहे। सहभागी वेद प्रकाश मलूका अपनी पत्नी के साथ दसों दिन उपस्थित रहे एवं अपने उद्गार प्रकट करते हुए बताया कि जीवन का वास्तविक लक्ष्य इस योग सत्र से समझ में आया। राजकीय महाविद्यालय के डाॅ. प्रकाश चन्द्र शर्मा ने अपने रोगों में इससे लाभ पाया तथा आत्मिक अनुभूति का क्षण बताया। सुश्री अलका देपड़ा ने अपना ढाई किलो वनज इस योग सत्र से कम कर लिया। श्याम सुंदर शर्मा, अखिल शर्मा, निखिल आदि ने अपने जीवन में उत्साह, उमंग एवं प्रातःकाल जल्दी उठने के अभ्यास को इस योग सत्र की देन बताया।
तृतीय योग सत्र का आयोजन तरुरणभेरी योग सत्र डीएवी काॅलेज मैदान पर 19 से 28 मई तक आयोजित हुआ। सत्र के समापन पर श्री सीमेण्ट के मैनेजर रबजीत सिंह इस योग सत्र में अपनी पत्नी बलविन्द्र कौर तथा पुत्र अमन सिंह के साथ सम्मिलित हुए। उन्होंने बताया कि उन्हें इस योग सत्र से दिनचर्या में अच्छी फीलिंग होने लगी है तथा परिवार सहित इस योग सत्र में अपने पर पारिवारिक बंधन और सुदृढ़ हुआ है। गौरव वर्मा बताते हैं कि उन्हें तनाव से मुक्ति मिल सकी है। दीपक शर्मा ने अपने अनुभव में बताया कि उन्हें लंबे समय से जुकाम रहता था जिसमें अब उन्हें लाभ मिला है। महेन्द्र जी बताते हैं उनकी स्मरण शक्ति में उन्हें लाभ होने लगा है। पुरुषोत्तम शर्मा कहते हैं कि उनका मन अब पढ़ाई में लगने लगा है तथा नींद भी अच्छी आती है। निशी शर्मा, सरिता यादव जीवन में अनुशासन का अनुभव करने लगी हैं तथा राजीव सिंह को देर से उठने की आदत से छुटकारा मिल गया है। इस सत्र का समापन विवेकानन्द केन्द्र के सह-प्रान्त प्रमुख उमेश चैरसिया ने किया जिसमें उन्होंने विवेकानन्द केन्द्र की कार्यपद्धति को आई क्यू, ई क्यू तथा एस क्यू से जोड़कर स्वाध्याय, संस्कार एवं योग के विषय को विस्तारपूर्वक परिभाषित किया। समापन पर केन्द्र के नगर सह संचालक डाॅ. प्रवीण माथुर एवं व्यवस्था प्रमुख दिनेश जाजपुरा का मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ। अंततः यह योग सत्र अत्यंत सार्थक रहा तथा यह अब ओंकारेश्वर मंदिर, चन्द्रवरदाई नगर में यह योग वर्ग में परिवर्तित हो चुका है जिसे आलोक कुमार, क्षितिज तोषनीवाल, अमन सिंह, कृष्णकांत मीणा, नितिन गोयल, सुनील गुजराती, गौरव वर्मा इत्यादि के सक्रिय सहयोग से संचालित है तथा नित नए लोगों को जोड़ता जा रहा है।
चतुर्थ योग सत्र का संचालन 1 जून से 10 जून तक पांच बंगला, आदर्श नगर, अजमेर रोड, ब्यावर पर आयोजित हुआ। यह योग सत्र युवा कौशल्य योग सत्र था। इस योग सत्र के आयोजन में सक्रिय भूमिका विभाग व्यवस्था प्रमुख के एन शर्मा, नरेन्द्र सिंह गहलोत, देवेन मनानी, जगदीश टवरानी एवं समस्त ब्यावर नगर के सक्रिय कार्यकर्ताओं ने संभाली। सत्र के समापन पर आए अनुभवों में शीतल झंवर ने बताया कि उन्हें अपने जीवन में प्रकाश की एक नई किरण मिली है तथा नेहा गुप्ता बताती हैं कि वे पहली बार इस प्रकार के आयोजन में सहभागिता कर रही हैं तथा अब नियमित रहेंगी। नरेन्द्र कोठारी अपनी पत्नी गंगा जी एवं सुपुत्र अनुष कोठारी के साथ इस सत्र में सहभागिता कर रहे थे। उन्होंने बताया कि ध्यान की विभिन्न मुद्राओं तथा सूर्यनमस्कार में हुए विभिन्न वैरिऐशन्स की प्रथम बार जानकारी इस सत्र से प्राप्त हुई। करण छीपा बताते हैं कि उन्हें सुबह उठते ही चक्कर आने की समस्या से छुटकारा मिला है। आलोक श्रंगी के लिए जल नेति एक नया अनुभव रहा। हरी कहते हैं कि वे संस्कार वर्ग में योग की अवधारणा को और अच्छी तरह से रख सकेंगे। योग सत्र के मध्य केन्द्र वर्ग के आयोजन में स्वाध्याय के अवसर पर उमेश कुमार चैरसिया का मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ। सत्र के समापन पर डाॅ. क्षमाशील गुप्त का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रान्त संगठक रचना दीदी ने बताया कि योग का अनुष्ठान एक प्रकार से समुद्र मंथन की प्रक्रिया है। जिस प्रकार समुद्र मंथन करते समय पहले विष निकला तत्पश्चात् विभिन्न रत्न, लक्ष्मी, श्री, वैभव और अंत में अमृत निकला इसी प्रकार योग अभ्यास में प्रारंभ में उत्पन्न हुई समस्याओं से घबराकर अभ्यास छोड़ना नहीं चाहिए तथा निरंतरता में इस अभ्यास के दौरान आई उपलब्धियों से संतुष्ट भी नहीं हो जाना चाहिए। योग एक मार्ग है जिस पर चलकर हम अमृत की प्राप्ति कर सकते हैं उसे केवल शरीर को निरोग बनाने तक ही सीमित नहीं करना चाहिए। इस योग सत्र में पांच बंगला के श्री तेजवान खत्री जी का अतुलनीय सहयोग रहा तथा अब इसी स्थान पर ब्यावर में नियमित योग वर्ग कार्यकर्ताओं द्वारा संचालित किया जा रहा है जिसमें कपिल खण्डेलवाल, देवेन मनानी, जगदीश टवरानी आदि सहयोग कर रहे हैं।
पंचम उठो जागो योग सत्र का आयोजन श्री रतन लाल कंवरलाल पाटनी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, किशनगढ़ में 17 जून से 26 जून तक आयोजित हुआ। यह योग सत्र लाजवंती भारद्वाज के संयोजकत्व में भारत भूषण व्यास, विष्णु मालाकार, भवदीप दीदी, भैरव सैनी, अशोक प्रजापति एवं अंकित सोनी के सक्रिय सहयोग से संपन्न हुआ। इस योग सत्र की विशेषता रही कि इसी के मध्य 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का भी आयोजन हुआ। इस आयोजन में राजकीय महाविद्यालय के समस्त अध्यापक, स्टाफ ने मिल कर योग सत्र में सहभागिता की तथा योग सत्र में हुई अनुभूति से उत्साहित होकर तथा योग की सार्थकता को समझकर प्राचार्य डाॅ. इन्द्रजीत सिंह सूद ने महाविद्यालय के प्रांगण की नियमित योगवर्ग हेतु उपयोग की स्वीकृति भी प्रदान की। इस योग सत्र में महाविद्यालय की ओर से गुलजारी लाल जी तथा जे पी शुक्ला जी का भी सक्रिय सहयोग रहा। योग सत्र के समापन पर आए अनुभवों को साझा करते हुए डाॅ. सरोज मालपानी ने योग सत्र पर स्वरचित संुदर कविता का वाचन भी किया। तूलिका शर्मा बताती हैं कि समय पालन से जीवन में अच्छा अनुभव होने लगा है। हितेश भारद्वाज अपने जीवन को अब तनाव मुक्त अनुभव करने लगे हैं। राघव बाहेती बताते हैं कि इस सत्र से पूर्व मैंने कभी उगते हुए सूर्य का दर्शन नहीं किया था अतः अब बहुत अच्छा अनुभव होता है। संजय गुर्जर कहते हैं कि आध्यात्मिक सामथ्र्य बढ़ा है। सत्र के समापन पर मुख्य अतिथि के रूप में नगर परिषद ब्यावर के उपसभापति श्री राकेश काकड़ा ने योग साधना की महत्ता पर बल दिया तथा योग साधना को पौराणिक समय से ही लाभकारी बताया। उन्होंने योग साधकों के अनुभव सुनकर यह घोषणा की कि वे किशनगढ़ में विवेकानन्द केन्द्र के कार्यालय भवन हेतु प्रयास करेंगे जिससे किशनगढ़ में केन्द्र कार्य गतिशील हो सके तथा जनसमान्य इससे लाभान्वित हो सके। अब यह योग वर्ग नियमित किशनगढ़ महाविद्यालय परिसर में प्रतिदिन संचालित हो रहा है।
अंत मैं इन योग सत्रों की श्रंखला के सूत्रधार के रूप में मेरा अपना अनुभव साझा करना चाहूंगा। मुझे इन योग सत्रों के दौरान सहभागियों एवं सहयोगियों दोनों से ही नित्य मिलने का सौभाग्य मिला। सहयोगियों के रूप में मुझे श्री रविन्द्र जैन का सान्निध्य सर्वाधिक मिला जिनकी योग मुद्राओं को देखकर मन हर्षित होता था तथा उनकी सक्रियता, उत्साह एवं समय पालन अद्वितीय रहा। साथ ही नगर संगटक श्वेता टाकलकर, के एन शर्मा जी, क्षितिज तोषनीवाल, उमेश जी चैरसिया, लाजवंती भारद्वाज, देवेन मनानी, नरेन्द्र गहलोत, विष्णु मालाकार आदि से सक्रिय तौर पर जुड़ने पर उनके नैसर्गिक गुणों से परिचय हुआ तथा केन्द्र कार्य के प्रति इनके समर्पण से प्रेरणा भी मिली। नए सहयोगियों से जुड़ने में ये योग सत्र अत्यंत सार्थक परिणाम लेकर जाए हैं।
एक केन्द्र कार्यकर्ता के रूप में इन योग सत्रों के आयोजन के उपरांत अपने अनुभव से यह दृढ़तापूर्वक निवेदन कर सकता हूँ कि माननीय एकनाथ जी रानडे ने अपने स्वर से यह शाश्वत सत्य ही उद्घोषित किया था कि ‘‘योग विवेकानन्द केन्द्र का प्राणस्वर है।’’