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patronहमारे देश में कहीं भी विविधता नहीं है अपितु एकता ही दिखाई देती है। भारतीय संकल्पना ही कर्म के माध्यम से ईश्वर को प्राप्त करने की है और यह कर्म यदि कहीं एकात्मता से किया जा सकता है तो वह विवेकानन्द केन्द्र ही है। ईश्वर प्राप्ति की दिशा में पहला कदम स्वयं को जानना है और स्वयं को जानने के उपरांत राष्टं की संकल्पना समझ में जा सकती है और उसी से हमें धर्म की सही परिभाषा का ज्ञान हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक ध्येय होना चाहिए

विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, शाखा - भीलवाड़ा: 20 मार्च को मेवाड़ चेम्बर डवलमेन्ट ट्रस्ट एवं विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी शाखा - भीलवाड़ा की ओर से आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता माननीय निवेदिता दीदी ने भीलवाड़ा शहर के प्रसिद्ध युवा उद्योगपतियों के बीच में ‘व्यावहारिक जीवन में आध्यात्मिक दृष्टिकोण’ इस विषय पर बोलते हुए बताया कि अगर जीवन में (1) समत्व यानि आत्मभाव में स्थित रहना, भावनात्मक से भी अधिक आध्यात्मिक बनना। (2) सन्तोष अर्थात् आनन्द प्राप्त करना। (3) सर्वसमावेशक अर्थात् सबको जोड़ने वाला एवं पूर्णत्व की ओर जाने वाला। (4) संयम अर्थात् फायदे के लिए देश, समाज को नुक

किसी भी सभ्यता में विविध संप्रदाय, भाषा, शिक्षा, पंथ, जाति भिन्नता और पूजा पद्धति की विविधता के बीच समन्वय कैसे रखा जाता है यह दुनिया में केवल भारत देश से ही सीखा जा सकता है क्योंकि भारत ने ही यह आदर

स्वामी विवेकानन्द के शिकागो धर्मसम्मेलन में प्रथम उद्बोधन की वर्षगांठ पर विश्वबंधुत्व दिवस का अजमेर में आयोजन किया गया। विश्वबंधुत्व की संकल्पना को केवल चरित्र की उच्चता एवं त्यागवृत्ति के आचरण से ही साकार किया जा सकता

विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी शाखा अजमेर अपने नए भवन में स्थापित

Gruh Praveshअजमेर २९ अप्रैल ! विवेकानंद केंद्र अजमेर शाखा अपने पुराने भवन जोकि श्रीनगर रोड स्थित प्रताप ऑटो मोबाइल के ऊपर स्थित था अब अपने नए भवन शिव मंदिर के पास, नई बस्ती भजन गंज में स्थानांतरित हो गया है.

उक्त नवीन भवन के उद्घाटन कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रातः काल कलश यात्रा के साथ हुआ जिसमे प्रान्त संघटक रचना एवं श्री गायत्री महिला मंडल भजन गंज अजमेर की श्रीमती सुधा डोगरा के नेत्रत्व में ३१ महिलाओ की कलश यात्रा निकाली गई

Renu Literary Culture Exhibition reception Ajmerअजमेर में लोगों संस्कृति रेणु के प्रति भारी उत्साह, ३००० से अधिक लोगों ने दो दिनों में साहित्य प्रदर्शनी का अवलोकन किया।

ईश्वर को प्राप्त करने के लिए संसार में अनेकानेक मार्ग हैं किंतु वेदान्त में ईश्वर कहता है कि कोई भी किसी भी मार्ग से मुझे भजे उसमें ही वह विलीन हो जाता है। स्वामी विवेकानन्द अपने समय से पूर्व के न केवल भारत अपितु सारे विश्व के समस्त दार्शनिकों, संतों, विचारकों की आभा जो समस्त मानवजाति का कल्याण करने के लिए कार्यरत है, को प्रकट करने वाले दिव्य रत्न हैं। रंग, लिंग, जाति, वर्ण, भाषा, भूषा तथा प्रान्त की बात नहीं, इन सभी से उपर उठकर प्रत्येक मनुष्य के भीतर परमात्मा के अंश का प्रकटीकरण का प्रयास करने वाला कोई दूसरा रत्नशिरोमणि विवेकानन्द के अलावा इस संसार में दूसरा कोई नहीं है।
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