बिहार प्रान्त का केंद्र परिचय वर्ग राँची में दिनांक 26 अप्रैल 2014 से 27 अप्रैल 2014 तक आयोजित किया गया । इस वर्ग में बिहार-झारखण्ड के 11 जिलों के 22 कार्यकर्ता उपस्थित थे ।
केंद्र परिचय वर्ग का उद्घाटन रा.स्वं.संघ के बिहार-झारखण्ड क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक श्री स्वांत रंजन जी ने दीप प्रज्जवलन कर किया साथ में मंच पर विवेकानन्द केन्द्र के जीवनवृति कार्यकर्ता और अरुणाचल प्रदेश के प्रान्त संगठक श्री रुपेश माथुर थे । उन्होनें उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा की स्वामी जी ने सबको प्रेरित किया । जन-जन में चर्चा का विषय रहा । संपूर्ण देश में सहज और सरल कार्यक्रम रखें । आगे भी यह कार्यक्रम स्वामी जी के नाम से चलते रहें, इसके लिए विवेकानन्द केन्द्र उस कार्य को पहले से ही कर रहा है । नये स्थानों पर इसका कार्य प्रारंभ हो इसके लिए यह परिचय शिविर का आयोजन किया गया हैं । सार्ध शती के कुछ कार्यकर्ताओं ने अनुभव भी सुनाये । वर्ग का सञ्चालन झारखण्ड प्रान्त के सार्ध शती आयोजन समिति के प्रान्त संयोजक श्री हिमांशु कुमार वर्मा ने किया ।
द्वितीय सत्र मे स्वामी विवेकानन्द जीवन तथा सन्देश, शिला स्मारक की कथा और विवेकानन्द केन्द्र के बारे में विस्तृत जानकारी मा.एकनाथजी जन्मशती पर्व बिहार प्रांत के विशेष सम्पर्क प्रमुख श्री विजय कुमार वर्मा ने दी।
तृतीय सत्र मे विवेकानन्द केन्द्र की कार्य रचना के बारे में श्री मुकेश, प्रांत संगठक, बिहार ने बताया , साथ-साथ 15 बिन्दुओं के वृत्त निवेदन वाले प्रपत्र को भी समझाया और नगर स्थान,कार्य स्थान,संपर्क स्थान के मानक बिंदु समझाए,जिससे नए स्थान पर कार्य करने वालों को अपने नगर की स्थिति स्पष्ट हो सके एवं आगामी योजना तय कर सकें ।
चतुर्थ सत्र में उत्सवों के बारे में विशेष रूप से आगामी 3-4 महीने में आने वाले उत्सवों के बारे में चर्चात्मक सत्र केंद्र के जीवनवृति कार्यकर्ता अरुणाचल प्रदेश के प्रान्त संगठक श्री रुपेश माथुर ने लिया। चर्चा में प्रतिभागी कार्यकर्ताओं को आयोजन कैसे करना हैं, Target group क्या है कौन –कौन से उत्सव होते हैं,उत्सव में क्या हो सकता हैं,साथ ही साथ बिहार में जहाँ उत्सव होते हैं वहाँ कैसे करते हैं, अरुणाचल में किस प्रकार मनाया जाता हैं,ताकि सभी को एक विस्तृत जानकारी मिले।
पंचम सत्र में केंद्र के जीवनवृति सुरेश और रवि ने खेलों का संचालन किया ,तत्पश्चात भजन संध्या का आयोजन रहा । भजनसंध्या के पश्चात् प्रेरणा से पुनरुथान का सत्र हुआ और आत्मवलोकन के साथ प्रथम दिन का समापन हुआ ।अगले दिन 27-04-2014 को प्रातः छः बजे प्रातः स्मरण उसके पश्चात् योगाभ्यास कराया गया ।
आठ बजे मंथन का सत्र प्रारंभ किया गया,चर्चा का विषय था की अपने स्थान पर हम लोग युवा सम्मलेन,विमर्श,व्यक्तित्व विकास शिविर का आयोजन कैसे करेंगे, अन्य स्थानों पर किस प्रकार आयोजन होता हैं । क्या क्या विषय हो सकते हैं सत्र का सञ्चालन रुपेश जी ने किया ।
समापन सत्र से पहले अपने अपने नगर की योजना के लिए 2 घंटे का समय दिया गया जिसमें 5 से 7 बिंदु उनको दिए गए जिसके आधार पर वह अपने नगर की योजना करेंगे । आगामी 3 महीनो के लिए जिसमे मुख्य बिंदु योग सत्र प्रशिक्षण के लिए कितने प्रतिभागी भेजेंगे, युवा सम्मेलन कितने करेंगे,विमर्श का आयोजन कितनी संख्या में करेंगे, पत्रिका सदस्यता और परिपोषक कितने बनायेंगे आदि, इन सब को लिख कर देने के लिए कहा गया ।
समापन सत्र में बिहार प्रान्त के माननीय एकनाथजी जन्म शती पर्व के प्रमुख प्रो. दयाशंकर पाण्डेय ने एकनाथजी के जीवन की कुछ रोचक घटनाएं बता कर सभी को एकनाथ जी की जीवनी पढ़ने के लिए प्रेरित किया । समापन में श्री रुपेश जी ने आह्वान किया की भारत को जगत गुरु बनाना है तो सभी का प्रयास आवश्यक है इसी लिये आप सभी से आह्वान है की अपने स्थान को एक नगर स्थान के रूप में विकसित करें ।