ईश्वर को प्राप्त करने के लिए संसार में अनेकानेक मार्ग हैं किंतु वेदान्त में ईश्वर कहता है कि कोई भी किसी भी मार्ग से मुझे भजे उसमें ही वह विलीन हो जाता है। स्वामी विवेकानन्द अपने समय से पूर्व के न केवल भारत अपितु सारे विश्व के समस्त दार्शनिकों, संतों, विचारकों की आभा जो समस्त मानवजाति का कल्याण करने के लिए कार्यरत है, को प्रकट करने वाले दिव्य रत्न हैं। रंग, लिंग, जाति, वर्ण, भाषा, भूषा तथा प्रान्त की बात नहीं, इन सभी से उपर उठकर प्रत्येक मनुष्य के भीतर परमात्मा के अंश का प्रकटीकरण का प्रयास करने वाला कोई दूसरा रत्नशिरोमणि विवेकानन्द के अलावा इस संसार में दूसरा कोई नहीं है।
ईश्वर को प्राप्त करने के लिए संसार में अनेकानेक मार्ग हैं किंतु वेदान्त में ईश्वर कहता है कि कोई भी किसी भी मार्ग से मुझे भजे उसमें ही वह विलीन हो जाता है। स्वामी विवेकानन्द अपने समय से पूर्व के न केवल भारत अपितु सारे विश्व के समस्त दार्शनिकों, संतों, विचारकों की आभा जो समस्त मानवजाति का कल्याण करने के लिए कार्यरत है, को प्रकट करने वाले दिव्य रत्न हैं। रंग, लिंग, जाति, वर्ण, भाषा, भूषा तथा प्रान्त की बात नहीं, इन सभी से उपर उठकर प्रत्येक मनुष्य के भीतर परमात्मा के अंश का प्रकटीकरण का प्रयास करने वाला कोई दूसरा रत्नशिरोमणि विवेकानन्द के अलावा इस संसार में दूसरा कोई नहीं है।