कन्याकुमारी में विवेकानंद शिला स्मारक के निर्माण के पचास वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर विवेकानंद केंद्र मध्य प्रान्त ने विमर्श का आयोजन किया। इसका प्रसारण विवेकानंद केन्द्र की यू ट्यूब चैनल पर 11 सितम्बर 2020 को सायं सात बजे से किया गया।
विवेकानंद केंद्र की राष्ट्रीय उपाधाक्ष्या पद्मश्री आदरणीया निवेदिता दीदी इस विमर्श में मुख्यवक्ता थीं। उन्होंने कन्याकुमारी से अपने उद्वोधन में विवेकानंद शिला स्मारक के निर्माण के पचास वर्ष पूरे होने के महत्त्व को बताया। उन्होंने कहा कि शिला स्मारक का निर्माण स्वामी जी के 11 सितम्बर 1893 को शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन के सन्देश से कई प्रकार से जुड़ा हुआ है।
पहली बात यह है कि स्वामी जी के 11 सितम्बर 1893 को शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन के सन्देश के समान ही शिला स्मारक का निर्माण भी सर्व समावेशकता का उदाहरण है। इसीलिए माननीय एकनाथ जी ने उसी तिथि को शिला स्मारक के उद्घाटन के लिए चुना था। दीदी ने बताया कि शिला स्मारक के निर्माण में माननीय एकनाथ जी का दृष्टिकोण ‘संघर्ष नहीं सर्व सम्मति’ का था। उन्होंने इस कार्य के लिए 323 सांसदों से समर्थन प्राप्त किया था चाहे वह किसी राजनैतिक विचारधारा, क्षेत्र या धर्म के रहे हों। लगभग सभी राज्य सरकारों ने शिला स्मारक ने निर्माण में आर्थिक सहयोग किया और 85 लाख रूपये तो पूरे देश के सामान्य जन के एक - दो रूपये के योगदान से प्राप्त हुए थे। सही अर्थों में यह एक राष्ट्रीय स्मारक है और सर्वसमावेशकता का मूर्त रूप है।
दीदी ने बताया कि दूसरी बात जो शिला स्मारक को स्वामी जी के विश्व धर्म सम्मेलन के सन्देश से जोड़ती है वह यह है कि स्वामी जी ने वहां से भारत के पुनरुत्थान का कार्य प्रारंभ किया था और विवेकानंद शिला स्मारक उसी कार्य का एक मूर्त रूप है। भारत पर विदेशी आक्रमणों के बाद यह पहला नूतन निर्माण कार्य है जो अपने धर्म और परम्परा से जुड़ा है।
तीसरी बात है, स्वामी जी ने शिकागो के अपने व्याख्यानों में कहा था विश्व बंधुत्व का कार्य भारत के द्वारा होना है और वह आत्मीयता और निष्काम सेवा के द्वारा होगा। इसी संकेत को लेते हुए माननीय एकनाथ जी ने स्मारक निर्माण के पश्चात् ‘विवेकानंद केंद्र – एक अध्यात्म प्रेरित सेवा संगठन’ का निर्माण किया।
चौथी बात है, जिस प्रकार स्वामीजी शिकागो में भारत की सभी आध्यात्मिक परम्पराओं का प्रतिनिधित्व कर रहे थे उसी प्रकार यह स्मारक और विवेकानंद केंद्र भी सभी आध्यात्मिक परम्पराओं का प्रतिनिधित्व करता है।
दीदी ने अपने उद्बोधन के अंत में सभी से अपना निश्चित समय और ऊर्जा राष्ट्र कार्य में लगाने का आह्वान किया।
विमर्श के प्रारंभ में मध्य प्रान्त के संचालक माननीय श्री मनोहर देव जी स्वागत भाषण दिया एवं विमर्श की भूमिका रखी। उन्होंने कहा कि ‘एक भारत विजयी भारत’ अभियान में माननीय एकनाथ जी की ही तरह हम सभी को जोड़ कर व्यापक संपर्क अभियान दुगनी शक्ति के साथ करना चाहेंगे। विमर्श के अंत में मध्य प्रान्त संपर्क प्रमुख श्री अतुल सेठ जी ने सभी का आभार व्यक्त किया, केंद्र की गतिविधियाँ संक्षेप में साझा कीं और ‘एक भारत - विजयी भारत’ से सभी को जुड़ने का आव्हान किया।
विमर्श का सञ्चालन मध्य प्रान्त प्रमुख श्री भंवर सिंह राजपूत ने किया। विदिशा नगर संगठक पूर्णिमा दीदी ने गीत और भोपाल विभाग संपर्क प्रमुख मनोज गुप्ता ने विवेक वाणी प्रस्तुत की। सम्पूर्ण कार्यक्रम का तकनिकी कार्य बीना नगर के कार्यकर्त्ता श्री रीतेश रस्तोगी द्वारा किया गया।
इस विमर्श को आज 12 सितम्बर 2020 दोपहर तक यू ट्यूब चैनल पर 1000 से अधिक व्यक्तियों द्वारा देखा गया है। इसे केंद्र के विभिन्न फेसबुक पेज पर भी लाइव किया गया था जिस पर 2000 से अधिक व्यक्तियों द्वारा देखे जाने का अनुमान है।