सामाजिक रूप से प्रताड़ित लोगों के साथ भ्रातृत्व भाव की आवष्यकता है। यदि भारत अपने सामाजिक स्तर पर व्याप्त विषमता को समाप्त करने में सफल हो जाएगा तब भारत पुनः विष्वगुरु बन सकता है। 700 साल के इतिहास पर गौरव करने की आवष्यकता है। स्वामी विवेकानन्द ने बहनों और भाईयों के उद्बोधन मात्र से दुनिया को उनके स्वयं का बोध कराया। पष्चिम के धर्म विचारों के चौकीदार हैं जबकि भारत का दर्षन नेति नेति परिभाषित कर देता है। हमारे हाथ में ही भारत की उन्नति की चाबी है। स्वामी जी की कई बातें अटपटी हैं क्योंकि स्वामी विवेकानन्द ने अपने विचार तत्काल के लिए नहीं दीर्घकाल के लिए हैं। इस देष में राष्ट के लिए कार्य करने वाले लाखों विवेकानन्द विद्यमान हैं। भारत की आजादी भले ही 1947 में मिली किंतु पष्चिमी दासता से मुक्ति की शुरूआत षिकागो सम्मेलन से 1893 में ही हो चुकी थी। पष्चिम का वैष्वीकरण भी बाजार पर आधारित है जिसमें बौद्धिकता का भी व्यापार होता है। स्वामी विवेकानन्द ने भारत माता के उद्धार के लिए सभी के सामने झोली फैलाई। आज लोगों को समाज के प्रति उत्तरदायित्व को समझना ही विवेकानन्द जयन्ती को मनाने की सार्थकता है। समानता संस्कृति और संस्कार देने का कार्य स्वामी विवेकानन्द ने किया। उक्त विचार प्रसिद्ध चिंतक एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के भारत नीति प्रतिष्ठान के निदेशक डॉ. राकेश सिन्हा ने अध्यात्म प्रेरित सेवा संगठन विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी राजस्थान प्रांत तथा अधिवक्ता परिषद राजस्थान के संयुक्त तत्वावधान में अजमेर विकास प्राधिकरण अजमेर के सहयोग स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर जवाहर रंगमंच पर आयोजित युवा सम्मेलन शंखनाद में व्यक्त किए। उन्होंने बच्चो को कालिदास की कहानी सुनाते हुए बताया कालिदास को प्रतिभा दिलाने वाली एक छोटी से बालिका ही थी। आज के बच्चे भारत का प्रतिनिधित्व करने को तैयार हैं। स्वामी विवेकानन्द के विचारों में आज देष के राजनीतिक संस्कार को बदलने की आवष्यकता है। भारत के लोगों को कायरता से बाहर निकलना होगा।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि शिक्षाविद् एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र कार्यवाह हनुमान सिंह राठौड़ ने कहा स्वामी विवेकानन्द ने पष्चिम की धरती पर ही भारत के दर्षन को समझाया। भारत का धर्म उसका अघ्यात्म है। संसार में समानता के साथ रहना है तो वैष्वविक बनना होगा स्वंय अपनी आत्मा को देख कर ही सेवा का भाव पैदा होता है,बच्चे देष का वर्तमान है, ये बलिष्ठ भुजाओं वाले युवा बनाउंगा जो विवेकानन्द केन्द्र से बनेगें युवा षक्ति से काम नहीं चलता षक्ति सही दिषा में काम करे तो देष को लाभ मिलेगा। केवल रामनाम की परिक्रमा करने मात्र से देष नहीं बदलता राम के चरित्र के आचरण से ही रामराज्य स्थापित होता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा भी इस अवसर पर उपस्थित रहे। विषय प्रवर्तन एवं केन्द्र परिचय विवेकानन्द केन्द्र के प्रांत प्रमुख भगवान सिंह ने किया तथा आभार ज्ञापन अधिवक्ता परिषद् राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश सिंह राणा ने किया। इससे पूर्व विवेकानन्द केन्द्र के संस्थापक एकनाथ रानडे के जीवन पर आधारित फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया तथा राजकीय महिला इंजीनियरिंग कॉलेज, अजमेर की विवेकानन्द स्टडी सर्किल की छात्राओं द्वारा जीवंत झांकी का प्रदर्शन भी किया गया। विवेक वाणी का वाचन विष्वा शर्मा ने किया। कार्यक्रम का संचालन उमेष कुमार चौरसिया ने किया।
इस अवसर पर नगर के गणमान्य अतिथि भी उपस्थित हुए जिनमें षिवराज शर्मा, प्रो. बद्री प्रसाद पंचोली, डॉ. श्याम भूतड़ा, धर्मेष जैन, बसंत विजयवर्गीय, प्रमुख थे।
केंद्र के नगर प्रमुख रविन्द्र जैन ने बताया कि शंखनाद के इस कार्यक्रम के साथ ही विवेकानन्द केन्द्र द्वारा विवेक पखवाड़े की शुरूआत कर रहा है जिसके तहत विभिन्न महाविद्यालयों एवं विद्यालयों में विद्यार्थियों को स्वामी विवेकानन्द के जीवन एवं संदेश की जानकारी दी जाएगी। इस क्रम में आर्यन पब्लिक स्कूल, राजकीय सीनियर सैकण्डरी स्कूल, नरवर, विवेकानन्द मॉडल स्कूल, संस्कृति द स्कूल तथा विल्फ्रेड इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नौलोजी तथा भगवंत विश्वविद्यालय, अजमेर से स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।