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विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी, शाखा पटना द्वारा आयोजित वर्ष में मनाए जाने वाले प्रमुख उत्सवों में से एक "गीता जयंती" का आयोजन इस वर्ष "गीता जयंती सह अमृत परिवार मिलन उत्सव" के रूप में किया गया। यह आयोजन टूल्स रूम एवं ट्रेनिंग सेंटर, पाटलिपुत्रा कॉलोनी प्रशासन के सहयोग से उनके सभागार में आयोजित हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत "शांति पाठ, मंत्र एवं प्रार्थना" से हुई, जिसे अशोक कुमार सेवाव्रती कार्यकर्ता ने प्रस्तुत किया। इसके बाद, सुश्री आकांक्षा ने "धर्म के लिए जिए समाज के लिए जिए" गीत का गायन किया, जो उपस्थित दर्शकों के बीच एक सशक्त प्रेरणा का स्रोत बन गया। जीवनव्रती कार्यकर्ता कमलाकांत जी ने केंद्र परिचय प्रस्तुत करते हुए इस प्रतिष्ठित संस्थान की गतिविधियों और उद्देश्यों की जानकारी दी। तत्पश्चात, केंद्र की नगर संचालिका शिखा सिंह परमार दीदी ने श्रीमद्भागवत गीता के श्लोकों का पाठ किया और भजन प्रस्तुत किए, जो सभी के मन को शांति और दिव्यता की अनुभूति कराए। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, डॉक्टर पंकज कुमार सिंह ने मानव जीवन और छात्र जीवन में गीता के अपरंपार महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे कठिन परिश्रम करें और फल की चिंता किए बिना अपने कर्तव्यों पर अग्रसर हों। डॉक्टर सिंह ने साथ ही आज के सामाजिक परिवेश में "अमृत परिवार" के महत्व को समझाते हुए छः "भ" – भाषा, भूसा, भजन, भोजन, भवन और भ्रमण पर जोर दिया। उन्होंने उपस्थित परिवारों से यह आह्वान किया कि वे एक नए और सशक्त भारत के निर्माण का संकल्प लें। नायसा, अनुषा, और पृषा ने मनमोहक कृष्ण भजन नृत्य (कथक) प्रस्तुत किया, जिसे दर्शकों ने अत्यधिक सराहा। इसके बाद, छात्रों और छात्राओं के बीच सामूहिक खेल आयोजित किए गए, जो उत्सव के माहौल को और भी जीवंत बना गए। कार्यक्रम के समापन में जीवनव्रती कार्यकर्ता धर्मदास जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया और आगामी माह में महाविद्यालय स्तर पर होने वाली "समर्थ भारत" पीपीटी की जानकारी साझा की। अंत में, शांति मंत्र के साथ कार्यक्रम की समाप्ति हुई।

मंच संचालन का कार्य केंद्र की नगर सह प्रमुख निर्मला दीदी ने किया। इस उत्सव में केंद्र से जुड़े परिवार, शुभचिंतक, दानदाता और अन्य गणमान्य महानुभावों की उपस्थिति रही, जिनमें श्री शिव कुमार सिंह, श्री ज्ञानेश्वर शर्मा, डॉक्टर कृष्णकांत कुमार, टीआरओटीसी के प्रशासक श्री अनंत कुमार, श्री प्रवीण कुमार ठाकुर और अन्य शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मी शामिल थे। यह उत्सव न केवल श्रीमद्भागवत गीता के अद्वितीय योगदान को मनाने का एक अवसर था, बल्कि एक नए भारत के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी था।

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