स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष्य में विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी, ग्वालियर शाखा एवं प्रकल्प नीडम के संयुक्त तत्वावधान में पदयात्रा एवं विमर्श कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
पदयात्रा: सामाजिक जागरूकता का संदेश
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह हुई पदयात्रा से हुई। इस यात्रा का शुभारंभ प्रांत प्रमुख आ. भँवर सिंह राजपूत, प्रांत अमृत परिवार प्रमुख आ. सरोज अग्रवाल, एवं नगर संचालक आ. सनी भार्गव ने किया। पदयात्रा का आरंभ पीजीवी कॉलेज से हुआ और यह एबी रोड, रामद्वारा होते हुए जीवाजी गंज स्थित दत्त मंदिर पर समाप्त हुई।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता श्री नीरज मंगल ने प्रेरणादायक विचार साझा किए, जबकि अध्यक्षता नगर सह संचालक श्री संजीव संभरिया ने की। पदयात्रा में 220 लोगों ने सहभागिता की।
विमर्श कार्यक्रम: चरित्र निर्माण का महत्व
शाम 4 बजे प्रकल्प नीडम में विमर्श कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी सुप्रदीप्तानंद ने संबोधित किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि समर्थ भारत के निर्माण के लिए चरित्र निर्माण सबसे आवश्यक है।
उन्होंने यह भी कहा कि हमें आधुनिक शिक्षा और समाज में हो रहे नवाचारों को अपनाना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रांत प्रमुख श्री भंवर सिंह राजपूत ने की।
प्रकल्प संचालक श्री लोकेन्द्र पाराशर ने सभी का आभार व्यक्त किया। विमर्श कार्यक्रम के अंत में भारत माता की आरती संपन्न हुई।
संगीत प्रस्तुति: भावनाओं का संगीतमय समर्पण
विमर्श कार्यक्रम से पहले संगीत प्रस्तुति हुई, जिसमें महक विश्वकर्मा, अदिति नामदेव, और सुरुचि मिश्रा ने भजनों की प्रस्तुति दी। इसके अलावा, डॉ. श्याम रस्तोगी ने अपने सितार वादन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सहभागिता एवं समर्पण
इस कार्यक्रम में प्रकल्प प्रमुख श्री नितिन मांगलिक, श्री ब्रजेश सिंघल, श्री शशिदत्त गगरानी, श्री विवेक पांडेय, और श्री उमाशंकर कुलश्रेष्ठ सहित लगभग 80 लोग उपस्थित रहे।
समर्थ भारत के निर्माण का संदेश:
कार्यक्रम ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि स्वामी विवेकानंद के विचारों को आत्मसात करके, आधुनिक शिक्षा और चरित्र निर्माण के माध्यम से हम समर्थ भारत का सपना साकार कर सकते हैं।