Universal brotherhood day was celebrated with a noble idea i.e Youth Parliament, in the presence of seniormost Jeevanvrati Hon. N. Krishnamurthiji. ‘India vs Bharat’ was the theme, and Hon. N. Krishnamurthiji played the role of the speaker. There were three jurors and two secretaries from the locality. The jurors included Hon. Sudhir Joglekar, Hon. Ajit Karkare and Hon. Girish Tilak. The secretaries included Hon. Vinod Deshpande and Hon. Bipin Menon. 90 youth were present at the event.
विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी द्वारा महाविद्यालय स्तर के विद्यार्थियों को स्वामी विवेकानन्द के जीवन एवं चरित्र से प्रेरणा लेते हुए योगमय जीवन जीने की कला, चारित्रिक षिक्षा, नैतिक मूल्यों के संवर्द्धन एवं राष्ट्र हित में कार्य करने हेतु प्रेरित करने के उद्देश्य से अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित होने वाली ‘‘उठो! जागो!! युवा प्रेरणा प्रतियोगिता’’ के क्रम में अजमेर जिले के सभी राजकीय एवं निजी महाविद्यालयों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर अध्ययनरत छात्र एवं छात्राओं के लिए भी इस परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है जिसके पंजीकरण संबंधित महाविद्यालय स्तर पर ही किए जा रहे हैं।
Vivekananda Kendra Dibrugarh organized an inter schools Surya Namaskar Competition and a mass Surya Namaskar program held at Vivekananda Kendra Vidyalaya ,Dibrugarh on the occasion of “UNIVERSAL BROTHERHOOD DAY” to commemorate the Historical speech by the patriotic Hindu monk of India Swami Vivekananda at “World Parliament of Religion” held at Chicago,America on 11th September 1893. 350 attained the program.
Green Rameshwaram” is an initiative of Vivekananda Kendra under its Natural Resources Development Project (NARDEP) activities. As a catalytic agent, Vivekananda Kendra has brought the stakeholders together through networking to join hands in this transformation. It reinforces the belief that true development happens only when it is holistic and sustainable.
जीरापुर। गुलामी की जंजीरों से जकड़े भारत के युवाओं को स्व संस्कृति के प्रति प्रेरित करने का कार्य विवेकानन्द जी ने किया..११सितम्बर १८६३ को अमेरिका के विश्व धर्म सम्मेलन में जाकर अपनी संस्कृति के वैभव को विश्व पटल पर प्रस्थापित किया। विजय के दिवस ने भारत के युवाओं के मन में विश्वास जाग्रत किया। कलकत्ता के दिवान विश्वनाथ दत्त व भुवनेश्वरी के लाल ने अपनी जिग्यासा प्रवृति ने नरेन्द्र ने विवेकानन्द बना दिया। जिसने परतंत्रता व दासता की मानसिकता से भारतीय मानस को मुक्त कर दिया।