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विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी,शाखा-भागलपुर द्वारा विमर्श कार्यक्रम का आयोजन गुरुवार, 21 अक्टूबर 2021 को संध्या 6:00-7:30 बजे आत्मा सभागार, जिला कृषि भवन ,तिलकामांझी में आयोजित किया गया। कुल उपस्थिति 72 की रही।

कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण से हुआ। केन्द्र परिचय नगर संपर्क प्रमुख जी द्वारा किया गया। केन्द्र के सक्रिय कार्यकर्त्ता डॉ. कुमार सुनीत जी द्वारा केन्द्र कार्य से जुड़ने का अनुभव साझा किया गया। मुख्य अथिति डी. आई. जी. सुजीत कुमार ने जीवन की द्वंद को उद्भाषित करते हुए उन्होंने जीवन के हर पहलू, हर जीव के संदर्भ को लिया है। अनिश्चय,उहा-पोह की स्थिति से उवरने  की परिभाषा द्वंद है द्वंद दो विपरीत परिस्थितियों के बीच चलने वाले क्रिया-कलाप को उद्भाषित करता है।

मुख्य वक्ता हनुमंत राव जी,अखिल भारतीय उपाध्यक्ष, विवेकानन्द केन्द्र  ने  द्वंदता का मूलभूत कारण बाहर नहीं बल्कि अपने भीतर है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन मे दो रवैया होता है एक है श्रेयस मार्ग ,दूसरा है प्रेयस मार्ग में  इसका सरल अर्थ है। एक जीवन की सफलता और दूसरा है सार्थकता ।  कर्म प्रधान शैली  न हो तो जीवन मे द्वंद ही पलता है। जहां द्वंदता हैं वहाँ लड़ाई है ऐसा श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं । जहाँ अहंकार और ममकार है वहाँ प्रेयस और श्रेयस है। आत्म-मुक्ति के साथ जगत कल्याण की कामना जीवन जगत में हो। आशक्ति रहित काम-निष्काम भाव से कर्म करना हमारे जीवन का धेय्य होना चाहिए । द्वंदता का जन्म ,द्वंदता का बीज बाहर नहीं भीतर है । सूचनाएं नगर सह प्रमुख मिहिर मोहन मिश्र जी   द्वारा दी गई,धन्यवाद ज्ञापन नगर व्यवस्था प्रमुख बिनीत सिन्हा जी द्वारा किया गया और कार्यक्रम का संचालन विजय कुमार वर्मा ने किया। आज के विमर्श कार्यक्रम में नगर के गणमान्य जनों की बढ़ -चढ़कर उपस्थिति रही।

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