विवेकानंद केंद्र मध्य प्रांत के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में योग की आवश्यकता एवं लोगों की योग के प्रति रुचि बढ़ाने व साथ ही विवेकानंद केंद्र बिलासपुर के "योगमय जीवनशैली प्रोजेक्ट" तथा रायपुर शाखा के योग के क्षेत्र में कार्य को मद्देनजर रखते हुए योग प्रशिक्षकों को और अधिक परिपक्व बनाने के लिए एवं योग-आसन की सूक्ष्म बारीकियों को बताते हुए, योग संबंधी तथ्यात्मक ज्ञान से योग प्रशिक्षकों के ज्ञान को अभिवृद्धि करने के उद्देश्य से एक दिवसीय "योग प्रशिक्षण कार्यशाला" का आयोजन 10 सितंबर 2017 को सुबह 10:00 बजे से सायं 4:00 बजे तक मॉडर्न इंग्लिश स्कूल, भाटापारा में किया गया ।
कार्यशाला में मुख्य योग प्रशिक्षक के रूप में विवेकानंद केन्द्र कन्याकुमारी के भोपाल विभाग के प्रशिक्षण प्रमुख श्री गिरीश पाल जी बीना, आदरणीय श्री उल्हास वारे जी, विभाग संपर्क प्रमुख, आदरणीय श्री बलबीर जी नगर संगठक रायपुर उपस्थित रहे ।
योग प्रशिक्षण मुख्य रूप से निम्न चरणों में संपन्न हुआ :-
1) उद्घाटन सत्र - इस सत्र में मुख्य रूप से कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन किया गया । कार्यक्रम में विश्व बंधुत्व दिवस व विवेकानंद केन्द्र के कार्य पर भी प्रकाश डाला गया।
2) प्रथम सत्र - इस सत्र में योगासन पर बल दिया गया एवं तत्संबंधी सुक्षमावलोकन को निर्देशित करते हुए रुचिकर सिद्धांत बताते हुए बलबीर भैया द्वारा डेमो भी दिखाया गया, तदनुसार सभी प्रशिक्षार्थी अभ्यास किए । श्री वारे जी ने कुछ उदाहरणों के माध्यम से योग को समझाया एवं कहा - हमारा जीवन अपने लिए नहीं अपितु दूसरों के लिए है ।
3) द्वितीय सत्र - यह सत्र मुख्य रूप से योग संबंधी सिद्धांतों पर आधारित था किंतु अंत में आसनों का अभ्यास भी किया गया । आदरणीय बलबीर भइया ने बड़े ही आकर्षक एवं रोचक ढंग से एवं पतंजलि योग प्रदीपिका के निर्दिष्ट श्लोकों को उद्धरित करते हुए
1) यम - अहिंसा,सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह । 2) नियम- शौच, संतोष, स्वाध्याय, ईश्वर प्रणिधान) 3 आसन के बारे में विस्तृत रुप से बताया । तत्पश्चात योगाभ्यास हुआ जिसमें अर्ध कटि चक्रासन का उदाहरण लेते हुए योग कराते समय निम्न क्रम में निर्देश देने की विधि को बताया गया :-
पहला - आसन का नाम बताना ।
दूसरा - शिक्षार्थियों से नाम को पुनः उच्चारण करवाना ।
तीसरा - आसन के नाम का अर्थ बताना ।
चौथा - प्रत्यक्षीकरण अथवा डेमो दिखाना
पांचवा - उस की बारीकियां बताना तथा उस आसन से शरीर में सामान्यतः क्या अनुभव होता है ? बताना ।
छटवा - उस योगाभ्यास के लाभ बताना ।
सातवां - सावधानी बताना
आठवां - प्रशिक्षार्थियों से पूछना कि उनको संबंधित रोग तो नहीं है ? इसके पश्चात ही नए प्रशिक्षार्थियों को योग कराना प्रारंभ करना चाहिए ।
उपरोक्त प्रक्रिया के बाद पुनः सभी कक्ष में वापस आ गए । आदरणीय वारे जी ने 4) प्राणायाम, 5) प्रत्याहार 6) धारणा 7) ध्यान 8) समाधि के बारे में विस्तृत रुप से बताया एवं आदरणीय गिरीश जी ने कुछ बातों पर और प्रकाश डालते हुए सरल शब्दों में शंका समाधान किया एवम् साथ ही श्री गिरीश कुमार जी ने योग की संकल्पना पर बोलते हुए कहा कि,जीवन में नित्यरूप से अनुशासन का पालन करना योग है,वहीं हर परिस्थिति में सम रहने वाला व्यक्ति सच्चा योगी है।स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं योग के नियमित अभ्यास से हमारा सर्वांगीण विकास होता है,हम पशुवत स्तर से ऊपर उठकर देवत्व को प्राप्त कर सकते हैं।
4) तृतीय सत्र - यह सत्र भोजन के बाद प्रारंभ हुआ एवं मुख्य रूप से नियोजन का सत्र था । इसमें बिलासपुर, रायपुर, तथा भाटापारा तीनों की अलग-अलग बैठकें हुई, जिसमें उपस्थित व्यक्तियों द्वारा नियोजन किया गया है कि आगामी समय में अपने क्षेत्र में कितने एवं किस स्थान पर योग सत्र लगाए जाएंगे एवं प्रयास किया जाएगा कि वह योग वर्ग में परिणित हो जाए ।
5) समापन सत्र - यह इस इस प्रशिक्षण कार्यशाला का औपचारिक समापन सत्र था, जिसमें मॉडर्न स्कूल की प्राचार्य श्रीमती प्रीति दीदी ने अध्यक्षीय संभाषण दिया तथा आदरणीय गिरीश जी ने आभार प्रदर्शन किया साथ ही यह भी कहा कि हम सभी सौभाग्यशाली हैं, कि ईश्वर ने हमें इस कार्य के लिए चुना।
कार्यशाला में गिरीश पाल जी, उल्हास वारे जी, बलवीर कुशवाहा जी,मामा चौधरी जी, मेडम जी, श्रीमती अल्पना मोहदीवाले जी, आशुतोष शुक्ल जी, कुमारी नंदिनी तांडी जी, कोमल जयसवाल जी, प्रेमानंद साहू जी, कुमारी भारती जी, अजय यादव जी, योगेंद्र बंजारे जी, संदीप कुमार जी, आशीष कुमार जी, अनिल कुमार जी, रमेश कौशल जी, कमलेश वर्मा जी, श्याम कुमार सोनी जी, विजय गौरहा जी, श्रीमती सुनीता बिसेन जी कुल 22 लोग उपस्थित रहे ।