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विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, बिहार-झारखण्ड प्रान्त के पटना विभाग के द्वारा तीन जगहों पर गीता जयन्ती उत्सव मनाया गया। सभी जगहों पर कार्यकर्ता के साथ साथ केन्द्र से परिचित लोगो का भी बड़ी रूचि के साथ 82 लोगो की सहभगिता रहा।

पहला कार्यक्रम रविवार, 24 दिसंबर 2023 संध्या ०३:०० बजे केन्द्र कार्यालय पाटलिपुत्रा कॉलोनी पटना में मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारम्भ शांति पाठ से हुआ, दैनिक जीवन में गीता का पठन पियूष सह युवा प्रमुख,उत्सव परिचय ओमरंजन प्रसाद उत्सव प्रमुख ,स्वागत सम्पर्क टोली सदस्य कृष्णकांत जी, गीत अकांक्षा दीदी,आगामी कार्यक्रम सूचना व्यवस्था टोली सदस्य अरविन्द वर्मा जी,अमृत परिवार की संकल्पना के बारे में आ.सुरेंद्र जी कार्यालय व्यवस्था टोली सदस्य ने बताया।

दूसरा कार्यक्रम शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023 को सृजन बाल वाटिका, दामुक चौक, मुजफ्फरपुर में मनाई गई। गीता जयन्ती के पावन अवसर पर  "गीता की महत्ता एवम् उपयोगिता" विषय पर संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता सियाराम शरण व्यास जी द्वारा किया गया।

तीसरा कार्यक्रम विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, शाखा- जहानाबाद एवं स्वामी सहजानंद सरस्वती पुस्तकालय के संयुक्त तत्वावधान में शाखा संयोजक डॉ. रविशंकर शर्मा जी के कुशल निर्देशन तथा शाखा संरक्षक राजकिशोर शर्मा जी की अध्यक्षता में 'गीता जयंती' का हर्षोल्लास के साथ आयोजन किया गया। इसका शुभारंभ तीन ओंकार एवं शांति मंत्र से हुआ। तत्पश्चात डॉ. अनिल कुमार द्वारा स्वरचित भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति एवम् गीता के दशम अध्याय 'विभूति योग' का हिंदी काव्यानुशासन प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता अवकाश प्राप्त प्राचार्य रंगनाथ शर्मा जी ने गीता ग्रंथ की प्रासंगिकता पर सघन चर्चा करते हुए इसे मानवता की एक अमूल्य धरोहर बताया जो आज भी विश्व का सर्वोपरि पथ प्रदर्शक की भूमिका निभाने की क्षमता रखता है। वक्ताओं में डॉ. शंभु कुमार, डॉ. रविशंकर शर्मा तथा राजकिशोर शर्मा ने इसकी उपादेयता पर जोर देते हुए इसे दैनिक जीवन में उतारने पर बल दिया। इसमें उपरोक्त महानुभावों के अतिरिक्त केंद्र शाखा के अनेक सदस्यों यथा राकेश कुमार, चितरंजन कुमार, सुधीर कुमार सिंह,रवि कुमार तथा शहर के वरिष्ठ नागरिकों और सुधिजनों सहित विधार्थियों ने भी भाग लिया। कुल उपस्थिति 42 लोगों की रही।कार्यक्रम का सराहनीय संचालन शाखा कोषाध्यक्ष अरुण कुमार ने किया। इसकी समाप्ति शांति पाठ से की गयी।

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