विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, राजस्थान प्रान्त द्वारा आयोजित "उठो! जागो!!" युवा प्रेरणा प्रतियोगिता २०१२ में राजस्थान के सभी महाविद्यालय से ८७९० विद्यार्थीयो ने भाग लिया। इनमें से ३६७ प्रतिभागियो ने राष्ट्र सेवा में सक्रिय भागीदारी के लिये इस पांच दिवसीय निःषुल्क "बढ़ो युवा! गढ़ो भारत!!" युवा प्रेरणा शिविर में राष्ट्रप्रहरी होने का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
जिसमें १२५ बहने, २०६ भाई व ३६ कार्यकर्ता उपस्थित रहे। शिविर दिनचर्या प्रातः 5 बजे से प्रारम्भ होकर प्रातःस्मरण, योग, गीता पठन, श्रम संस्कार, बौद्धिक सत्र, मंथन, विविध खेल, गीत, भजन संध्या, प्रेरणा से पुनरूत्थान, हनुमान चालीसा आदि गतिविधियों को सम्मिलित करते हुए डायरी लेखन पर जाकर रात्री 10.00 बजे दीप निमिलन पर पूर्ण होती थी।
प्रथम दिन दिनांक १९ सितम्बर को राज्य के विविध जिलो से आये प्रतिभागियों का पंजीयन सांय 6.00 बजे प्रारम्भ हुआ, जिसमें शिविरार्थियों को ३ मण्डल व १८ गणों में विभाजित किया गया।
द्वितीय दिन नियमित दिनचर्या के साथ प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता श्री महेष चन्द्र षर्मा अध्यक्ष, दीन दयाल ट्रस्ट एवं निदेषक, एकात्म मानव दर्षन सेवा संस्थान दिल्ली द्वारा ‘‘बढ़ो युवा-गढ़ो भारत’’ विषय पर उद्बोधन देते हुये कहा कि सभी युवाओं को साथ लेकर बढ़ने का प्रयास ही समाज उन्नति और खुशहाली लायेगा।
तीसरे दिन श्री भरत कुम्हार, क्षेत्रीय मंत्री, विद्या भारती संस्थान ने वर्तमान चुनौतियों का समाधान “स्वामी विवेकानन्द” विषय पर कहा कि सबसे बड़ी चुनौती पाश्चात्य संस्कृति का आक्रमण है। इसका सामना करने व भारतीय संस्कृति को समझने के लिए राम के चरित्र को पढ़ने की आवश्यकता बताई। विवेकानन्द के कथनानुसार आज की नारी का आदर्श सीता, सावित्री व दमयन्ती को बताया। द्वितीय सत्र में केन्द्र के जीवनव्रती विवेकानन्द केन्द्र कार्यकर्ता व प्रान्त संगठक रचना दीदी के ओजस्वी उद्बोधन से शिविरार्थियों ने राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझा व देश के लिए कुछ करने का संकल्प लिया।
चतुर्थ दिन के प्रथम सत्र में प्रताप गौरव विवेकानन्द केन्द्र के संगठक श्री ओम प्रकाष जी भाई साहब ने वीर सावरकर, भगतसिंह, गुरू गोविन्द सिंह मदन लाल धींगरा के जीवन के त्याग एवं बलिदान के प्रसंग सुनाते हुये मार्गदर्षन किया। द्वितीय सत्र में केन्द्र कार्यकर्ता श्री किर्ती भैया ने विवेकानन्द केन्द्र का परिचय, कार्यपद्धति व विभिन्न आयामों के बारे में बताते हुये केन्द्र कार्यो से जुड़कर राष्ट्रपुनरूत्थान में सहभागी होने का आव्हान किया जिस पर सभी षिविरार्थियों ने इससे जुड़ने का संकल्प किया।
पंचम व अन्तिम दिन शिविरार्थियों ने अपने संकल्प की कड़ी में एक साथ बिना रूके १०८ सुर्यनमस्कार किये। तत्पष्चात् अन्तिम व पूर्णाहुति सत्र में मनुष्य निर्माण से राष्ट्र पुनरूत्थान के इस पुनीत यज्ञ में समर्पित होने के संकल्प के साथ आहुतियां प्रदान की।
समापन समारोह में समारोह की सभापति रामकृष्ण मिशन की अध्यक्षा श्रीमती मंजुलाजी बोरडिया ने शिविरार्थियों को "स्वामी विवेकानन्द के अमृत पुत्र" के नाम से सम्बोधित कर उन्हें स्वंय को स्वामी विवेकानन्द की तरह ही श्रेष्ठ बन समाज को श्रेष्ठ बना कर भारत को विश्व गुरू बनाने की प्रेरणा दी। समारोह के विशिष्ठ अतिथि राजस्थान लोक सेवा संघ के सदस्य श्रीमान परमेन्द्रजी दशोराह ने शिविर के उद्देश्य "उठो युवा और गढो भारत" पर प्रकाश डाला। समारोह में बच्चो ने शिविर के अपने अनुभवो को सुनाया एवम जोश भरे राष्ट्रीय गीतो से अतिथियो का मन लुभाया !
केन्द्र प्रार्थना एवंम वन्देमातरम् के गीत के बाद सभी शिविरार्थी प्रसाद ग्रहण कर यहां से पुनः अपने कार्यक्षेत्र की और प्रस्थान किया।