अजमेर ! उत्साह, साहस, धैर्य, तत्वज्ञान एवं दृढ़निश्चय योग के साधक तत्व माने गए हैं और इनसे ही योग की साधना संभव है। आलस्य, व्याधि, संशय, प्रमाद, अविरति, भ्रांति दर्शन ये सभी योग के विक्षेप कहे जाते हैं। यदि योग साधक दीर्घकाल तक निरंतरता के साथ एवं श्रद्धापूर्वक योगाभ्यास हेतु तत्पर होता है तभी उसका अभ्यास दृढ़ हो सकता है तथा इसी से शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, भावनात्मक एवं आध्यात्मिक विकास संभव है। उक्त विचार भारत सरकार के आयुष मंत्रालय एवं योग गुणवत्ता परिषद् से मान्यता प्राप्त योग शिक्षक एवं विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी राजस्थान प्रान्त के प्रशिक्षण प्रमुख डाॅ. स्वतन्त्र शर्मा द्वारा नसीराबाद रोड स्थित मनुहार समारोह स्थल पर योग प्रशिक्षण देते हुए प्रकट किए। डाॅ. शर्मा ने योग साधकों को कब्ज के निराकरण के लिए विशेष क्रियाओं की जानकारी दी तथा शिथिलीकरण के अभ्यासों के साथ विश्राम की आई आर टी एवं डी आर टी विधि का भी अभ्यास कराया।
युवा मैथिल ब्राह्मण जागृति मंच अजमेर के आलोक मिश्रा ने बताया कि योग प्रशिक्षण के लिए सेवा राम चैहान द्वारा मनुहार समारोह स्थल निःशुल्क उपलब्ध कराया गया है।