विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी शाखा रायपुर द्वारा 10 से 19 अप्रैल तक अायोजन हुअा। 10 दिवसीय इस योग सत्र में शिथिलीकरण व्यायाम, सूर्यनमस्कार , आसन, प्राणायाम एवं योग एक जीवन पद्धति ,अष्टांग योग पर विवेकानंद केंद्र के कार्यकर्ता श्याम कुमार भगत एवं बलवीर भैया मार्गदर्शन दिया गया। जिसमे कहा गया की योग का अंतिम लक्ष्य एकत्व की अनुभूति करना , अपने मन , बुद्धि,शरीर,एवं आत्मा से जुड़ना केवल यहाँ तक पर्याप्त नहीं बल्कि अपने परिवार, समाज , राष्ट्र एवं सम्पूर्ण सृष्टि से जुड़ना , इनसे एकत्व की अनुभूति करना योग है। हम अपने आस-पास प्रत्येक वस्तु से जुड़े हुए है एवं इनका असर हमारे मन, बुद्धि, शरीर, परिवार, समाज, राष्ट्र एवं सृष्टि पर पड़ता है। उदाहरण के लिए यदि हमारे घर या आफिस में घड़ी अगर ठीक नहीं है या वह सही तरह से नहीं टंगी हो तो उसका हमारे मन पर असर अवश्य पड़ता है , जिस व्यक्ति ने योग को अपने जीवन में लाकर अपने विस्तारित स्वरुप( अपने मन,बुद्धि,शरीर,आत्मा से जुड़ते हुए परिवार, समाज,राष्ट्रएवं विश्व) जुड़ा हुआ है तो वह व्यक्ति उस घडी को ठीक कर देगा । किन्तु जिसने अपने जीवन में योग को धारण नहीं किया उसे उस घडी से कोई मतलब नहीं रहेगा। लेकिन उस व्यक्ति के ऊपर तो उस घडी का असर जा रहा है। यह बात केवल घडी पर लागू नहीं होती बल्कि सभी वस्तुओ पर लागू होती है।
योग सत्र में श्रमदान भी किया गया जिससे यह अनुभव कराया गया की हम भी अपने आस- पास के वातावरण से जुड़े हुए है, आज हम जिस स्थति में है वह पर्यावरण की ही देन है । अतः पर्यावरण का भी हम एक हिस्सा है एवं हमे इससे जुड़कर इसके संरक्षण में योगदान देना हमारा कर्तव्य है तभी योग की सार्थकता है।