विवेकानंद केंद्र का गीता जयन्ती महोत्सव संपन्न | प्रत्येक मनुष्य के जीवन में आंतरिक तथा बाहरी युद्ध हो रहा है। इसमें विजयी होने के लिए आज कृष्ण का संदेश देने का कार्य भगवद्गीता ़द्वारा हो सकता है। गीता के द्वारा मोह दूर हो सकता है साथ ही पुरूषार्थ जागरण भी संभव है। गीता का प्रासंगिक संदेश समाजोत्थान के लिए व्यक्ति तटस्थ न होकर आक्रामक बने तभी भारत विजयी हो सकता है। महाभारत के युद्ध में भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को युद्ध करने के लिए प्रेरित किया जाना केवल धर्म स्थापना ही न होकर अच्छे लोगों के रक्षण तथा दुष्टों के विनाश के लिए भी था। आज समाज में बढ़ती हुई विकृतियों को दूर करने के लिए भले ही हमारे पास कृष्ण न हों किंतु युवाओं के रूप में अर्जुनों की कमी नहीं है। हमें केवल उन्हें संस्कार एवं मूल्य परक शिक्षा देनी होगी जो भगवद्गीता के माध्यम से ही संभव हो सकती है। केवल गीता के अध्ययन से ही यह संभव नहीं होगा बल्कि गीता के संदेश को आचरण में उतारने हेतु युवाओं को प्रशिक्षित करना होगा। समाज को संस्कारवान एवं चरित्रवान युवा देने का कार्य आज विवेकानन्द केन्द्र पूरे भारतवर्ष में कर रहा है। उक्त विचार विवेकानंद केंद्र कीे जीवनव्रती कार्यकर्ता एवं प्रान्त संगठक प्रांजलि येरीकर ने होटल आराम वैशाली नगर में आयोजित गीता जयन्ती महोत्सव के अवसर पर व्यक्त किए।
नगर प्रमुख अखिल शर्मा ने बताया कि इस अवसर पर गीता पर आधारित प्रश्नोत्तरी का संचालन महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर के योग विभाग के डाॅ0 लारा शर्मा ने किया। इस अवसर पर विजेतागण के बालकिशन ईणानी, कुशल उपाध्याय, राधा राठी, समीर शर्मा, को कर्मयोग की पुस्तक नगर संचालक डाॅ0 श्याम भूतड़ा ने भेंट की। डाॅ0 अनिता खुराना ने कर्मयोग श्लोक संग्रह का सस्वर वाचन किया तथा विवेकानन्द केन्द्र की उपाध्यक्ष पदम्श्री निवेदिता भिड़े द्वारा प्रेषित गीता जयन्ती पत्र का वाचन भी हुआ।
इससे पूर्व प्रातः 6.00 बजे विवेक योग संगम के तहत सुभाष उद्यान में आसन, प्राणायाम, सूर्यनमस्कार तथा क्रीड़ा योग का आयोजन भी हुआ।