भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में अर्जुन के सम्मुख जो ज्ञान की गंगा बहाई, वह वाणी श्रीमद्भगवद् गीता के रूप में सर्वत्र उपलब्ध है। यह गीता माँ ही है जो हमारा पोषण करती है, हमें ध्येयमार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है, उस योग्य बनाती है। इसलिए आचार्य विनोबा भावे ने गीता को "माऊली" अर्थात् माता कहा है।