विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी शाखा सागर द्वारा पर्ल पब्लिक स्कूल में युवा संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जो संघर्षरत है, कर्मशील है, चैतन्य है, स्वपनदर्शी है, वेगवान है, संकल्पवान है, संयमी है और सृजन में लगा है। वही सच्चे अर्थ में युवा कहलाने का अधिकारी है। युवा वही है जो शारीरिक बल, मानसिक बल, चारित्रिक बल, आत्मबल से भरपूर हो। स्वामी विवेकानंद ने ऐसे ही युवाओं की संकल्पना की थी। यह बात इंक मीडिया के निदेशक डा. आशीष द्विवेदी ने कही। वे पर्ल पब्लिक स्कूल में स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष्य में युवा दिवस कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता अपना उद्बोधन दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि जब हम कुसंग के अंधड़ में, हताशा के भंवर में उलझ गए हों तो स्वामी जी का स्मरण ही आपको बाहर निकाल देता है। उनका चित्र मात्र ही बहुत सारी नकारात्मकता का शमन कर देता है। जीवन संग्राम में बगैर लड़े ही जिसने हथियार डाल दिए हों समर्पण कर दिया हो , जिसने जीवन को नियति मान लिया हो समझो वह वृद्ध हो चुका है। उन्होंने सभी विद्यार्थियों से प्रतिज्ञा दिलाई कि अपनी ऊर्जा का सदुपयोग राष्ट्र के नवनिर्माण में कर स्वामी जी के सपनों का भारत बनाएंगे।
विशिष्ट अतिथि साहित्यकार लोकनाथ मिश्र ने कहा कि इस संसार में गुरु की महिमा अनादिकाल से रही है। भगवान राम और कृष्ण को भी गुरु ने ही शिक्षित, संस्कारित किया। स्वामी जी के ऊर्जा रुपांतरण में भी उनके गुरु आचार्य रामकृष्ण परमहंस का अनूठा योगदान है। उन्होंने कहा कि जब आप अपने आचरण में सनातन धर्म के मूल गुण सत्य,प्रेम, करुणा, अहिंसा, अपरिग्रह, अस्तेय का समावेश करेंगे तो आप सच्चे अर्थ में स्वामी जी का अनुगमन करते हैं। यदि आप बारह वर्ष तक सत्य का आचरण करेंगे तो एक समय बाद आपकी वाणी सिद्ध हो जाएगी। उन्होंने विद्यार्थियों को योग, ध्यान और अन्य क्रियाओं के माध्यम से एकाग्रता के नुस्खे बताए।
आरंभ में केंद्र के नगर प्रमुख गौरव सिंह राजपूत ने स्वामी जी से जुड़े अनेक प्रसंगों के माध्यम से साहस, संयम, समर्पण, विद्वता , एकाग्रता की सीख दी। रोचक अभ्यास भी कराए। विद्यालय की प्राचार्य सुलभा देवस्कर ने अतिथि परिचय और संचालन किया। इस अवसर पर स्कूल के डायरेक्टर धर्मेंद्र शर्मा, सुप्रिया नवाथे एवं विद्यालय के शिक्षक उपस्थित रहे ।