विमर्ष कार्यक्रम का विषय "बदलते समाज के लिए शाश्वत मूल्य" था। जिसके मुख्य वक्ता :- डॉ. मनीष सिंघल जी, प्राध्यापक XLRI, जमशेदपुर थे।
• सर्व प्रथम उन्होंने विवेकानन्द शिलास्मारक की 50वें वर्ष में चल रहे संपर्क कार्यक्रम विवेकानन्द शिलास्मारक :- एक भारत विजयी भारत" चर्चा किया।
• फिर उन्होंने पूरे कार्यक्रम में कैसे जुड़े रहे उन बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
• बाहर के बदलती प्रस्थिति के अनुसार अपने अंदर की प्रस्थिति को बदलना पड़ेगा।
• भारतवर्ष में नवरस की संकल्पना है।
• प्रत्येक कार्य के लिए भावना होना आवश्यक है। आप कहीं भी चाहे, आपकी दुकान हो, घर हो या कोई संग़ठन बिना भावना के आप काम नही कर सकते।
• उन्होमे अपने उद्बोधन में कोरोना काल की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि प्रकृति पहले भी नही बदली थी और अभी भी नही बदली है। न सूर्य की दूरी की दूरी में परिवर्तन हुआ है ना, चंद्रमा की दूरी में।
• हमे अपने समाज को भी संगठित करने ले लिए अपना बहुमूल्य समय देना चाहिए।
• भावना भी सकारात्मक और नाकारात्मक होती है। जैसे प्रेम सकारात्मक भावना है और घृणा नाकारात्मक भावना है।
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन और शान्तिमन्त्र के साथ हुआ। कार्यक्रम में विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, बिहार-झारखंड प्रान्त के अधिकारी श्री सतेंद्र कुमार शर्मा, दयाशंकर पांडेय, ओर श्री मुकेश कीर जी समलित हुए। विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, शाखा- रांची के संयोजक, डॉ शिवशंकर प्रशाद जी और अन्य समर्पित कार्यकर्ता उपस्थित हुए।