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समाज में समय-समय पर जो विकृतियां आ जाती है, उसके निवारण का उपाय आध्यात्म ही है। न्यायपालिका व कार्यपालिका की कार्य प्रणाली विज्ञान और आध्यात्म के सामांजस्य पर ही निर्भर करती है। कालान्तर में समाज में उत्पन्न विकृतियों के निवारण हेतु कानूनी उपायों के साथ साथ समाज में जीवन मूल्यों की पुनः प्रतिस्थापना भी आवश्यक है। राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री पुष्पेन्द्र सिंह भाटी विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी शाखा जोधपुर द्वारा आयोजित ‘‘सामाजिक विकृतियां, कानून एवं आध्यात्म” विषयक विमर्श कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये।
श्री भाटी ने बताया कि वस्तुतः समाज कानूनों के निर्माण की भूमिका निभाता हैं। समाज निरन्तर परिवर्तनशील है, अतः न्यायपालिका के निर्णय भी तदनुसार परिवर्तित व परिवर्धित होते रहते है। वर्तमान में भारत में 70 प्रतिशत जनसंख्या युवा है, जिनके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती इन्टरनेट के सदुपयोग को लेकर है। भारतीय परिवार के संस्कारों से ही वर्तमान सामाजिक विकृतियों को दूर किया जा सकता है।

न्यायाधीश श्री भाटी ने बताया कि समाज में समरसता, संस्कारशीलता व उच्च आदर्शों को स्थापित करने के लिये विमर्ष जैसे विचारषील व चर्चात्मक कार्यक्रमों की महत्ती आवष्यकता है। सदन में उपस्थित छात्राओं को इंगित करते हुए श्री भाटी ने कहा कि वर्तमान में छात्राएं व महिलाएं अपनी आन्तरिक शक्ति को पहचाकर समाजिक कंटको व दुष्कर्मियों से निपटने के लिये स्वयंसिद्धा बने। समाजिक विकृतियों को सुधारने के लिये कानून और आध्यात्म में सामांजस्य आवश्यक|

मुख्य अतिथी के रूप में केन्द्रीय जल शक्ति केबिनेट मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि स्वामी विवेकानन्द के आदर्षों पर चलकर ही सामाजिक विकृतियों पर विजयी पाई जा सकती है। श्री शेखावत ने बताया कि जिस गति से समाज को क्षरण करने की ताकतें मजबूत हो रही है, उससे दुगुनी गति से समाज केे रचनात्मक कार्यों को बढावा देना होगा। तभी हम हमारे संस्कार, संस्कृति, समाज व देष की रक्षा कर पायेंगे।

जल शक्ति मंत्री श्री शेखावत ने पीने के पानी की सीमितता व प्रदूषण के संकट के बारे में बताते हुए कहा कि जल को जगदीष मान कर इसका समुचित प्रबन्धन व संचयन वर्तमान समय की  महत्ती आवश्यकता है। इस अवसर पर न्यायाधीश श्री पुष्पेन्द्र सिंह भाटी व केन्द्रीय जल शक्ति केबिनेट मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के कर कमलों द्वारा विवेकानन्द केन्द्र हिन्दी प्रकाषन विभाग द्वारा प्रकाशित स्वामी विवेकानन्दजी की जीवनी ‘स्वामी विवेकानन्द: समग्र जीवन दर्षन‘ का विमोचन भी किया गया। योद्धा सन्यासी स्वामी विवेकानन्दजी की इस जीवनी विमोचन के अवसर पुस्तक के अनुवादक श्री महावीर प्रसाद जैन ने पुस्तक परिचय दिया।

विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी राजस्थान प्रान्त के प्रान्त प्रमुख श्री भगवान सिंह ने विवेकानन्द केन्द्र का परिचय देते हुए विवेकानन्द शिला स्मारक के 50 वर्ष पूरे होने पर ‘एक भारत विजयी भारत’ अभियान के बारे में बताया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में विवेकानन्द केन्द्र हिन्दी प्रकाषन विभाग के प्रमुख अशोक माथुर ने अतिथियों का स्वागत कर उनका परिचय दिया। स्टील भवन में आयोजित इस विमर्श कार्यक्रम में प्रान्त संगठक प्रांजलि येरिकर, हिन्दी प्रकाशन के प्रकल्प संगठक श्री दीपक खैरे, प्रान्त समिति सदस्य अशोक खण्डेलवाल, यादवराज कुमावत, प्रेमरतन सोतवाल, चन्द्र प्रकाश अरोड़ा, मोहनलाल तंवर, महेश बोहरा, भूपेन्द्र जोषी, हरि, मघराज, श्याम मालवीय, सुषील, हिमांषु, गोपाल, लिच्छाराम, विष्वा, पूनम, गोमती सहित बड़ी संख्या में गणमान्य प्रबुधजनों व विद्यालयी छात्राओं ने सहभाग लिया। कार्यक्रम का संचालन के.के. बोराणा ने किया।
 

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