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स्वामी विवेकानंदजी को "योध्दा संन्यासी" कहा जाता था। मेरे देश या धर्म के  विरुद्ध कुछ बोले तो मैं आपको उठा के समंदर में फेक दुँगा ऐसा एक विदेशी को स्वामीजीने बताया हम सडको  विवेकानंदजीके विचार - कार्य व साथ ही साथ  माता जिजाऊंकी शिक्षा  व संस्कार को आजभी  अंमल में लाना चाहीए। ऐसे  विचार राष्ट्रीय दिनदर्शिका प्रसार मंचके कोषाध्यक्ष श्री अभय मराठेजी ने व्यक्त किए  । विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी, शाखा बेळगाव की ओर से  भाग्यनगर में  आयोजीत विवेकानंद जयंती और जिजामाता जयंती  के अवसर पर  प्रमुख अतिथी के रुप में  वे बोल रहे थे।हमारे  राष्ट्र गीत,राष्ट्रीय पक्षी जैसे  राष्ट्रीय चिन्हों की तरह  राष्ट्रीय दिनदर्शिका भी महत्वपूर्ण है ऐसा  मराठेजीने  समझाया.प्रमुख वक्ता के रुप में   उपस्थित  विवेकानंद केंद्र के ज्येष्ठ कार्यकर्ता  श्री संजय कुळकर्णींजी ने  विवेकानंदांजी की  1892 की  ऐतिहासिक बेळगाव भेट या दौरे की याद को ताजा किया.युवा पिढी को  विवेकानंद केंद्रके  "मनुष्य निर्माण देशोध्दार" ईस  कार्य की ओर  आकर्षित करनेहेतु विविध कार्यक्रम लेने के बारे में उन्होने मार्गदर्शन किया।.प्रारंभ में  केंद्र प्रार्थना हुई  व स्वामी विवेकानंदजी की  प्रतिमा को  अतिथियोंद्वारा पुष्पार्चन के पच्शात  कुमारी धृती नाईकने "भारत हमको जान से प्यारा है" यह  देशभक्ती पर गीत गाया.सुश्री स्वाती ने धन्यवाद ज्ञापन किया, व स्वागत और  मंचसंचालन किशोर काकडेंने किया.कार्यक्रमकी  सर्व व्यवस्था अपनेही निवासस्थान में   श्री केशव कुळकर्णीजी ने की तथा सर्वश्री  अशोक उळागड्डी, आनंद अरळीकट्टी,निखील नरगुंदकर,गिरीश कोटबागीने सहयोग दिया.  शाल-पुस्तक देकर अतिथियोंका सम्मान  किया गया..केंद्र प्रार्थना के साथ प्रसाद वितरण के साथ  कार्यक्रम संपन्न हुवा.विवेकानंद केंद्रके सदस्य व अन्य नागरिक भी   उपस्थित थे।. एक फेब्रुवारी को रामकृष्ण आश्रमद्वारा  होनेवाले   रिसालदार गल्लीस्थित  विवेकानंद केंद्र लोकापर्ण कार्यक्रममें बडी  संख्या में  भाग लेने का भी  निर्णय लिया गया.।

 

 

 

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