विवेकानन्द केंद्र कन्याकुमारी इंदौर विभाग द्वारा दिनांक 21 सितम्बर से 25 सितम्बर २०१६ को मोरटक्का ओम्कारेश्वर में 5 दिवसीय युवा प्ररणा शिबिर का आयोजन किया गया।
शिविर में इंदौर, धार ,और उज्जैन जिला के 20 महाविद्यालयों से कुल १२२ शिविरार्थी ने भाग लिया। शिविर का प्रारंभ 21 सितम्बर सांय 6:30 बजे भजन संध्या से हुआ। भोजन के पश्चात् शिविर परिचय एवं प्रेरणा से पुनरुथान सत्र हुआ जिनके बाद विभाजित हुए गणों की गणश: बैठक की गई। इस तरह प्रथम दिन का समापन हुआ।
शिविरार्थीयो को 10 गणों में विभाजीत किया गया जिनके नाम दिये गये हनुमंत, विक्रम, जितेन्द्र, महावीर, रामदास, रामदूत, कपीश्वर, पवनपुत्र, मारुती, और आनंजनेय। इनमे मारुती और आनंजने बहनों के गण थे और बाकि गण भाइयो के।
शिविर के दिनचर्या कुछ इस प्रकार थी। जागरण ,प्रात : स्मरण ,योग वर्ग, आल्पाहर, श्रम संस्कार और श्रम परिहार, गणभ्यास, प्रथम सत्र, स्वाध्याय वर्ग, भोजन, गणभ्यास/नेपुन्यवर्ग, जलपान, द्वितीय सत्र, संस्कार वर्ग, भजन संध्या, भोजन, प्रेरणा से पुनरुथान, गण बैठक, निशा स्वस्ति दिन का आरम्भ प्रात: 5 बजे जागरण से होता था। इसके बाद प्रात: स्मरण 6 बजे और 6:15 से “योग वर्ग “ होता था। योग वर्ग गणश : होता था। योग वर्ग का प्रारंभ कब्बडी से किया गया। शिथलीकरण के बाद सूर्यनमस्कार का अभ्यास होता था। आसनो के पश्चात योग संकल्पना तथा यम इन विषय पर गण चर्चा की जाती थी एवं प्राणायाम का भी अभ्यास किया गया।
“श्रम संस्कार “द्वारा शिविर परिसर की साफ-सफाइ कराकर शिविर में आये युवाओं को स्वछता का पाठ पढाया जाता था एवं उसके महत्व का बोध कराया जाता था।
शिविर में प्रतिदिन दो सत्र आयोजित होते थे जिसमे वक्तोओ को किसी विषय विशेष पर अपना वक्तव्य देना होता था जिसमे हे विवेकानन्द केंद्र का इतिहास, हे भारत उठो जागो, भारतीय संस्कृति वैज्ञानिक दृष्टिकोण, इतिहास हमारा संभल है, सेवा की संकल्पना इन विषयों पर उद्बोधन हुआ। प्रथम सत्र के बाद “मंथन सत्र “ आयोजित किया जाता था। इसमें एक विषय को लेकर सभी गणों में चर्चा होती थी जिसका बाद हर गण से एक प्रतिनिधि आकर इसका सारांश प्रस्तुत करता था। मंथन के विषय : बाह्य और आतंरिक चुनौतिया, सेवा भाव यह रहे।
शिविर में शाम को “ संस्कार वर्ग “ आयोजित किया जाता था। जिसमे विभिन्न खेल खेले जाते थे एवं गीत तथा कहानियो के माध्यम से देशप्रेम की भावना का संचार किया जाता था। शिविर में मुख्य विषय के रूप में हनुमान जी का जीवन बताया गया। सभी गणों का नामकरण उनके ही नाम पर किया गया था। हनुमान जी के जीवन चरित्र पर आधारित एक “ प्रेरना से पुनरुथान “ का सत्र भी आयोजित किया जाता था। इस सत्र में हनुमान जी के जीवन में घटी घटना उनके समक्ष आयी चुनौतिय, उनकी बुधिमत्ता ,व्यावहारिकता ,एवं आदि अनेक विषयो पर वक्तव्य होता था। तथा आज के युवा के लिय वे किस प्रकार एक प्रेरण स्त्रोत है। इस पर भी विचार किया जाता था।
“ नैपुण्य वर्ग ” में शिविरार्थी को विडियो क्लिप्स के माध्यम से महापुरुषों की जीवनी एकनाथ जी का जीवन, विवेकानंद केंद्र की स्थापना तथा शिलास्मारक का प्रस्तुतीकरण किया गया।
शिविर में प्रतिदिन एक सांयकलिन भजन संध्या का भी आयोजन किया जाता था जिसमे विभिन्न देवी देवताओ का संगीतमय संस्मरण किया जाता था।
शिविर के लिया उज्जैन जिले के 8 महाविध्यलायो में सम्पर्क किया गया जहाँ से 37 शिविरार्थी उपस्थित हुए। इसी प्रकार इंदौर से 8 एवं धार से 4 महाविध्यलयो का सम्पर्क हुआ जहाँ से क्रमशः 46 और 40 शिविरार्थी ने अपनी उपस्थिति दी।
इस शिविर का संचालन तिनो जिलो से आये 30 कार्यकर्ताओं ने किया। शिविर में विशेष रूप से केंद्र के राष्ट्रिय संयिक्त महासचिव मा. किशोरजी टोकेकर, मध्य प्रान्त संगठक कु. रचना दीदी, मध्य प्रान्त सह संचालक आ. रामभुवन सिंह जी कुशवाह इनका मार्गदर्शन युवाओं को प्राप्त हुआ।