धार, प्रकृति का रक्षण, सभी की जिम्मेदारी है तथा यह कार्य जैविक कृषि उपायों से ही संभव है। यह उद्गार प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक अजित केलकर ने यहाँ विवेकानंद केन्द्र, कन्याकुमारी शाखा धार की व्याख्यानमाला में व्यक्त किये। राष्ट्रीय युवा दिवस पर श्री केलकर ने "आधात्मक प्रेरित सेवा एवं वैदिक कृषि चिंतन" विषय पर उद्बोधन देते हुए कहा कि प्रकृति का ज्ञान सरल व सहज है। पहले भूमि को अवांछनिय रसायनो से मुक्त करिये, जिससे धरती माँ को राहत स्वतः ही मिल सकेगी। उन्होने अनेक आधात्मिक अवधारणा को समझाते हुए, कृषि के विभिन्न आयामों से उनको जोड़ा। श्री केलकर ने उपस्थित श्रौताओं जिसमें बड़ी संख्या में कृषक भी उपस्थित थे, खेती तथा भूमि से संबंधित वैज्ञानिक दृष्टिकोण को समझा कर, पर्यावरण की चुनौतियों के लिए भी सजग किया। व्याख्यानमाला के पूर्व षिला स्मारक पर आधारित फिल्म का प्रदर्षन भी किया गया। कार्यक्रम अध्यक्षता लबरावदा ग्राम के वैदिक कृषक नरैन्द्र सिंह राठौर ने की। मंच पर केन्द्र के सह संचालक सुरेष राजपूरोहित भी उपस्थित थे।
पूर्व में कार्यक्रम का आरंभ अतिथियों द्वारा पुष्पार्पण से हुआ। तीन ओमकार प्रार्थना हितांषी ठाकुर ने गायी। अतिथि परिचय अभिनंदन सिंह तँवर ने दिया। अतिथि स्वागत सुरेष राजपूरोहित, गिरीष वड़नेरकर, गोविंद अग्रवाल व अविनाष ठाकुर ने किया। गीत सुनील सुपेकर ने प्रस्तुत किया। शांति मंत्र कुं. अंजलि ने गाया। संचालन मोहन कडूसकर ने किया तथा अंत में आभार नवीन राठौर ने माना।
कार्यक्रम में ही अतिथियों द्वारा स्थानीय आनंद वात्सल्य आश्रम, पीपलखेड़ा की वार्षिक पत्रिका ‘आश्रमवाणी’ का विमोचन भी किया गया। सहयोग ट्रस्ट अध्यक्ष उदय वडनेरकर, सचिव सरदार सिंह तँंवर व भारत सिंह दसौंधी ने किया। उल्लेखनीय है कि नगर में उक्त व्याख्यानमाला सन् 1968 से आयोजित होती है तथा इसमें अनेक प्रसिद्ध वक्ता उद्बोधन दे चुके है। इस अवसर पर विधायक श्रीमति नीना वर्मा, सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे ।