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विवेकानंद केंद्र का आध्यात्मिक शिविर फरवरी 21 से 27 तक विवेकानंदपुरम, कन्याकुमारी में आयोजित किया गया।

इस शिविर में महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश - इन 9 राज्यों से 50 शिविरार्थियों ने सहभागिता की। इनमें 29 बहने और 21 भाई थे। शिविर संचालन के व्यवस्था चमु में कुल 11 सदस्य रहे।

शिविर का पंजीकरण 20 फरवरी को प्रारंभ हुआ और उसी दिन भजन संध्या के साथ शिविर प्रारंभ हुआ। परिचय सत्र में शिविर अधिकारी माननीय रेखा दीदी ने शिविर का विस्तृत परिचय दिया। व्यवस्था चमु और शिविरार्थियों के परिचय के साथ प्रथम दिवस की समाप्ति हुई।

21 फरवरी से सुबह 5:15 बजे प्रातः स्मरण से शिविर नियमित रूप से प्रारंभ हुआ। शिविर की दिनचर्या इस प्रकार रही: 5:15 बजे प्रातः स्मरण, योगाभ्यास, अल्पाहार, श्रमसंस्कार, बौद्धिक सत्र, मंथन, भोजन, विश्राम, गीत अभ्यास, चाय, बौद्धिक सत्र, प्राणायाम-ध्यान अभ्यास, समुद्र की ओर, भजन संध्या, रात्रि भोजन, आनंद मेला और गण बैठक।

शिविर के सुव्यवस्थित संचालन हेतु शिविरार्थियों को 5 गणों को संगठित किया गया : अत्रिगण, अपाला गण, अंगीरसगण, गोधागण, अगस्त्य गण - भारत के ऋषि ऋषिकाओं के नाम पर आधारित यह गण रहे। ‌

शिविर में निम्नलिखित विषयों पर बौद्धिक हुए: अध्यात्म की संकल्पना, केंद्र प्रार्थना, उपनिषदों के संदेश, भगवतगीता, विवेकानंद केंद्र अध्यात्म प्रेरित सेवा संगठन, विवेकानंद केंद्र की गतिविधियां, स्वामी विवेकानंद, कर्मयोगैकनिष्ठा, विवेकानंद शिला स्मारक की कथा और ध्येयमार्गानुयात्रा।

मंथन में बौद्धिक पर आधारित विषयों पर सहभागीयों ने उत्साह के साथ अपने विचार रखे।

योगाभ्यास में अनेक आसन सिखाए गए और प्राणायाम भी सिखाए गए। साथ ही ओमकार ध्यान और आवृत्ति ध्यान का भी अभ्यास हुआ।

गीत-अभ्यास में स्त्रोत, श्लोक और गीतों का अभ्यास हुआ। ‌

शिविर के दौरान शिविरार्थियों ने विवेकानंद शिला स्मारक के दर्शन किए और विवेकानंदपुरम की प्रदर्शनींया भी पूरे उत्साह और रुचि के साथ देखी।

रात्रि आनंद मेला में गीत, खेल के साथ ही कीर्तन और एक पात्री प्रयोग भी हुए। आनंद मेला में ठाकुर रामकृष्ण की कथा माला का श्रवण और आदि शंकराचार्य द्वारा रचित लिंगआस्टकम् का पठन हुआ।

दिनांक 26 फरवरी को अंतिम आनंद मेला में शिविरार्थियों द्वारा उनके प्रतिभा से गीत नृत्य के द्वारा सबको आनंद की अनुभूति प्रदान की।

कुल मिलाकर शिविर अत्यंत आनंदमयी वातावरण में प्रेम भाव के साथ में संपन्न हुआ। अनेक शिविरार्थियों ने विवेकानंद केंद्र के माध्यम से समाज के लिए सेवा कार्य करने की इच्छा प्रदर्शित की है।

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The Spiritual Retreat was organized from 21 to 27 February 2022 at Vivekanandapuram, Kanyakumari.

Fifty participants from following 9 states participated in this camp  : Maharashtra, Rajasthan, Bihar, West Bengal, Kerala, Tamil Nadu, Karnataka, Telangana and Andhra Pradesh.  Of this were 29 sisters and 21 brothers.  Organising team had 11 members.

The registration for the camp started on 20th February and on the same evening the camp started with Bhajan Sandhya.  In the introduction session, Shibir Adhikari Mananeeya Rekha Didi gave a detailed introduction to the camp.  The first day ended with the introduction of the organising team and the participants.

The camp started regularly from 21st February at 5:15 am with Pratahsmaran.  The camp routine was as follows: 5:15 a.m. Pratahsmaran, Yoga practice, breakfast, Shramsanskar, Lecture session 1, Manthan, Lunch, Geet Abhyas, tea, Lecture session 2, Pranayama-Meditation practice,  Bhajans, dinner and Anand Mela.

Participants were organized into 5 ganas, namely,  Atrigana, ApalaGana, Angirasgana, Godhagana and Agastya ganß- these Gana were based on the names of the sages of India.

In the camp lectures were on the following topics: Concept of Spirituality, Kendra Prarthana, Messages from Upanishads, Bhagvad Gita, Vivekananda Kendra Spiritually Orientated Service Organization, Activities of Vivekananda Kendra,  Swami Vivekananda, Karmayogaikanishtha, Story of Vivekananda Rock Memorial and Dhyeymarganuyatra.

In the Manthan,  participants expressed their views with enthusiasm on topics based on the  Lectures.

Asanas were taught in yoga practice and pranayama was also taught.  Along with this Omkar meditation and cyclic meditation were also practiced.

Stotras, shlokas and songs were practiced in Geet abhyas.

During the camp, the participants visited the Vivekananda Rock Memorial and also viewed the exhibitions at Vivekanandapuram with great enthusiasm and interest.

In the Anand Mela, along with songs, games, Kirtan and a play were also held.  In the Anand Mela, the story of Thakur Ramakrishna was told and Lingashtakam by Adi Shankaracharya was chanted.

In the last Anand Mela on 26th February, participants presented Cultural dances and songs.

Overall, the camp had a joyful atmosphere.  Many participants have shown their willingness to do service work for the society through Vivekananda Kendra.

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