विश्व बंधुत्व दिवस के उपलक्ष्य में 'भागलपुर विभाग' में 2 स्थानों पर इस उत्सव का आयोजन किया गया गया।
'धर्म को अनुभवजन्य होना चाहिए, कट्टरपंथी नहीं' यह दृष्टिकोण विश्व बंधुत्व ला सकता है। स्वामी विवेकानंद के इसी आह्वान को विवेकानंद केंद्र द्वारा 11 सितंबर को पूरे भारत वर्ष में विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह बातें 15/9/2023 को 'पूरणमल बाजोरिया शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय नरगा कोठी' भागलपुर में आयोजित विश्व बंधुत्व दिवस के अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित शिव शक्ति योग पीठाधीश्वर परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने कही। उन्होंने आगे बताया कि हम सब को विवेकानंद जी के संदेशों की विशेषता क्या थी और भारत के लिए इसकी प्रासंगिकता क्या है? इसे समझने की जरूरत है।
विश्व बंधुत्व के इस संदेश को भारत के हर परिवार तक पहुँचाना हम सब का परम कर्तव्य होना चाहिए। परिवार ही राष्ट्र का आधार है। भारत कहने से चार तत्व सामने आते हैं- आत्मीयता, त्याग, धर्म और जीवन मूल्य भारतीय परिवार में यह गुण भरे पड़े हैं- उन्होंने वृद्धाश्रम को भारतीय सभ्यता के विरुद्ध बताया, इन्हें जागृत करने की जरूरत है। यही अमृत परिवार का आधार है। भारत आत्मीय संबंध बनाते हुए विश्व को एक बना सकता है। इसके बिना अमृत परिवार की कल्पना नहीं की जा सकती। इसलिए परिवार को आत्म शक्ति से परिपूर्ण कर ही हम राष्ट्र को आत्म शक्ति से परिपूर्ण कर सकते हैं।
उक्त आयोजन की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रधानाचार्य श्री राजकुमार ठाकुर ने की। 'अमृत परिवार का आधार विश्व बंधुत्व' विषय पर विषय प्रवेश नगर संचालक डॉ. राज भूषण प्रसाद ने किया। केन्द्र कार्यकर्ता खुशी कुमारी द्वारा तीन ओंकार, कार्यकर्ता राजकुमार द्वारा विवेक वाणी तथा गीत की प्रस्तुति नगर संगठक श्रीमती निर्मला दीदी द्वारा की गई। कार्यक्रम का संचालन संपर्क प्रमुख श्री राजेश गोयल ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन नगर प्रमुख डॉक्टर मिहिर मोहन मिश्र 'सुमन' जी के द्वारा हुआ। इस कार्यक्रम में कुल 175 की उपस्थिति रही। शांति मंत्र के साथ समापन की घोषणा हुई।
दूसरा कार्यक्रम राष्ट्रीय सेवा योजना, तिलका माँझी भागलपुर विश्वविद्यालय भागलपुर एवं विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, भागलपुर शाखा के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 19 सितंबर 2023 को स्वामी विवेकानंद द्वारा 11 सितंबर 1893 को शिकागो सर्वधर्म सम्मेलन में दिए गए भाषण की स्मृति के रूप में विश्व बंधुत्व विमर्श का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्व बंधुत्व के संदर्भ में 'चरित्रवान युवाओं की भूमिका' विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम मा. कुलपति महोदय, कुलानुशासक महोदय, संकायाध्यक्ष छात्र कल्याण, महाविद्यालय निरीक्षक, कार्यक्रम समन्वयक तथा विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी से आए प्रांत प्रमुख विजय वर्मा जी एवं राज भूषण प्रसाद जी तथा देव ज्योति मुखर्जी जी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके बाद इसके बाद कार्यक्रम समन्वयक डॉ राहुल कुमार ने अतिथियों का अंगवस्त्र, पौधा तथा पुष्प देकर स्वागत किया एवं स्वागत भाषण करते हुए डॉ. राहुल कुमार ने कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि जिनके दर्शन से राष्ट्रीय सेवा योजना 'नोट मी, बट यू' के सिद्धांत पर कार्य कर रहा है उन्हें महापुरुष के विमर्श स्मृति में आयोजित इस कार्यक्रम को करने का श्रेय NSS के कार्यक्रम समन्वय के रूप में उन्हें प्राप्त हुआ है। तत्पश्चात विवेकानन्द की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई इस अवसर पर सर्वप्रथम बोलते हुए संकाय अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रो. विजेंद्र कुमार ने कहा कि भारत अतीत वर्तमान और भविष्य तीनों ही कालों में विश्व का नेतृत्व करने में सक्षम रहा है और कोरोना काल में भारत ने साबित किया कि भारत की बंधुत्व भावना स्वार्थ से प्रेरित नहीं बल्कि भातृत्व से प्रेरित है। इसी प्रकार कुलानुशासक महोदय प्रो. एस. डी. झा ने कहा कि नैतिकता धर्म और विश्वास के साथ मानव को केंद्र में रखकर किया गया विकास ही बंधुत्व मार्ग है। जबकि इस अवसर पर बोलते हुए कुलसचिव महोदय ने कहा कि मुझे इस बात से आपत्ति है कि भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता है, भारत को सोने का शेर कहा जाना चाहिए क्योंकि अब वह दिन नहीं है जब भारत को एक गुलाम देश के रूप में या थर्ड वर्ल्ड के रूप में देखा जाता था अब भारत विश्व का नेतृत्व कर रहा है। इस अवसर पर बोलते हुए महाविद्यालय निरीक्षक संजय झा जी ने कहा कि भारत का लोकतंत्र अपने आप में बंधुत्व और विचारधाराओं का संगम है भारतीय विविधता में एकता भारतीय बंधुत्व और वैश्विक एकत्र को स्थापित करने का मार्ग है। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए विजय वर्मा जी ने विस्तार से स्वामी विवेकानंद जी द्वारा 1893 में शिकागो धर्म सम्मेलन में दिए गए भाषण को याद करते हुए विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से विश्व बंधुत्व के अर्थ को समझाया और युवा चरित्रवान किस प्रकार बने इसके लिए प्रेरित किया, जबकि देव ज्योति मुखर्जी ने युवाओं को विभिन्न पांच चरणों के माध्यम से अपने सोच-विचार, और कर्म के साथ-साथ स्वभाव में चरित्र को उतारने के लिए मंत्र दिए। इस अवसर पर अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए माननीय कुलपति महोदय ने विस्तार पूर्वक स्वामी विवेकानन्द जी के दर्शन, उनका गरीबों के प्रति दृष्टिकोण, दरिद्र नारायण की अवधारणा, देश के सर्वांगीण विकास, देश में महिलाओं के सम्मान, देश में युवाओं की भागीदारी जैसे विषयों को समझाया। माननीय कुलपति महोदय ने कहा कि 1893 में स्वामी विवेकानंद जी द्वारा दिया गया शब्द 'सिस्टर्स एंड ब्रदर्स ऑफ अमेरिका' के संभाषण से लेकर G20 के वन अर्थ-वन फ्यूचर-वन फैमिली के मंत्र को अगर देखा जाए तो भारत ने लगातार विश्व को बंधुत्व का ही संदेश दिया है । वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा, अतिथि देवो भव की अवधारणा विश्व योग दिवस आदि भारत का विश्व को बंधुत्व के प्रति सीख है। इस अवसर पर हुए कार्यक्रम में मंच संचालन का कार्य विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी, शाखा भागलपुर के नगर संचालक डॉ. मिहिर मोहन मिश्रा ने किया तो वहीं कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन का कार्य मारवाड़ी महाविद्यालय के कार्यक्रम पदाधिकारी संजय जायसवाल ने किया इस अवसर पर भागलपुर विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी शाखा भागलपुर से जुड़े हुए विभिन्न कार्यकर्ता जिसमें डॉ. राजभूषण प्रसाद, आदित्य, सूरज, खुशी शामिल थे। इसी प्रकार इस कार्यक्रम को सफल बनाने में राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यालय के कर्मियों को सहयोग प्रदान करने में शुभम कुमार, आर्यन कुमार, दिवाकर कुमार, चंदन कुमार सांभवी, अनुराधा, बबी दीदी आदि ने योगदान दिया। इस कार्यक्रम में 103 लोगों की उपस्थिति रही।