महान आत्माओं का परिचय उनके कार्य से ही पता चलता है। जगत के हित के लिए किया गया कार्य ही आत्मा का मोक्ष होता है। बल संख्या या अर्थ से नहीं आता है बल्कि बल आत्मा से ही आता है। शक्ति का एकमात्र स्रोत आत्मा है। जीवन का पाठ कंठस्थ करने से नहीं बल्कि जीवन में उसे उतारने से याद होता है। स्वामी विवेकानन्द ने ईसाई व इस्लाम का गहन अध्ययन किया। रिलीजन का अनुसाद धर्म नहीं है। भारत का धर्म आध्यात्मिकता है। भारतीय समाज शासक को आदर्श नहीं मानता बल्कि त्यागियों और तपस्वियों को आदर्श मानता है। भारत के केवल दो राष्टीय आदर्श हैं त्याग और सेवा। विश्वधर्म संसद यह मान चुकी थी कि स्वामी विवेकानन्द के सुनने के बाद भारत में धर्म के प्रचार के लिए ईसाई मिशनरी भेजना मूर्खता है। रविन्द्रनाथ टैगौर भारत को जानने के लिए विवेकानन्द के अध्ययन की बात करते थे। पूरी दुनिया भारत को ज्ञान का केन्द्र मानती है क्योंकि भारत में वो युगपुरूष हुए हैं जो दुनिया से अज्ञान की धूल हटाते हैं। उक्त विचार केरल के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान ने ‘अध्यात्म प्रेरित सेवा संगठन’ विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी के विवेकानन्द शिला स्मारक के 50वें वर्ष में प्रवेश करने के अवसर पर ‘एक भारत विजयी भारत’ संपर्क महाअभियान के दौरान मनाए जाने वाले विश्वबंधुत्व दिवस पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सत्य केवल एक ही है कि दूसरों का हित करना ही पुण्य है और दूसरों का अहित करना ही पाप है। यही भारत के धर्म का निचोड़ है। हमारी संस्कृति ने ही हमें बचा कर रखा है। दुनिया के तमाम बड़े लोग यह मानते हैं कि भारत के ज्ञान की आवश्यकता पूरी दुनिया को है। भारत की भूमि ही दुनिया की सबसे पवित्र और मानव जीवन के लिए सबसे अनुकूल भूमि थी इसीलिए आदम को भारत की धरती पर उतारा गया। मोहम्मद साहब मदीने में बैठकर भी भारत से ज्ञान की ठण्डी हवा के झोंके महसूस करते थे।
इस कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि महापौर श्री धर्मेन्द्र गहलोत ने कहा कि सिद्धांतों को जीवन में उतारने का उदाहरण स्वामी विवेकानन्द का जीवन बताता है। विवेकानन्द ने अपने जीवन में जब कोचवान बनने इच्छा प्रकट की तब उनकी मां ने उनको प्रोत्साहित किया और भगवान कृष्ण के जैसा कोचवान बनने को प्रेरित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रान्त प्रमुख श्री भगवान सिंह ने एक भारत विजयी भारत महासंपर्क अभियान की सार्थकता पर विचार प्रकट किए तथा अखिल भारतीय स्तर पर राष्ट्रवादी विचारवान लोगों का एकत्रीकरण करते हुए भारत को विश्वगुरू की ओर अग्रसर करने का संकल्प व्यक्त किया।
नगर प्रमुख अखिल शर्मा ने बताया कि इस अवसर पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान द्वारा विवेकानन्द केन्द्र की उपाध्यक्ष पदम्श्री निवेदिता भिड़े द्वारा लिखित पुस्तक हमारे शाश्वत प्रेरणास्रोत का विमोचन भी किया गया। पुस्तक में विवेकानन्द केन्द्र के संस्थापक एकनाथजी द्वारा स्वामी विवेकानन्द के 100 वर्ष पूर्ण होने पर कन्याकुमारी शिला पर स्मारक बनाने की विजयगाथा के रूप में संक्षिप्त वर्णन किया गया है। कार्यक्रम के आयोजन में भारत विकास परिषद् की अजमेर शाखा का सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन श्री उमेश कुमार चैरसिया ने किया तथा आभार ज्ञापन नगर संचालक डाॅ0 श्याम भूतड़ा ने किया। इस दौरान डाॅ0 स्वतन्त्र शर्मा, प्रांत संगठक प्रांजलि दीदी, प्रान्त संपर्क प्रमुख अशोक जी खण्डेलवाल सहित विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी तथा भारत विकास परिषद् के सभी कार्यकर्ताओं का सहयोग रहा।