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विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, हिमाचल विभाग, शाखा - शिमला द्वारा गुरुवार, 25 जनवरी 2024 को स्वामी विवेकानंद जयंती एवं भजन संध्या का आयोजन शिमला शहर के ऐतिहासिक  पर्यटन स्थान गेयटी थियेटर में किया गया । किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सरदार पटेल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. देवदत्त शर्मा, मुख्य वक्ता  प्रांत संगठक श्री मानस भट्टाचारजी, विवेकानन्द  केन्द्र  कन्याकुमारी उत्तर विशेष रूप से उपस्थित के साथ लगभग 90 गणमान्य लोगों की उपस्थिति रही।

कार्यक्रम का प्रारंभ तीन ओमकार प्रार्थना से हुआ। कार्यक्रम की रूपरेखा विवेकानन्द केन्द्र शिमला की नगर संपर्क प्रमुख श्रीमती प्रो. नीरज शर्मा द्वारा रखी गई । गीत तथा केंद्र परिचय हिमाचल विभाग संगठक श्री बलवीर कुशवाह जी द्वारा लिया गया। मुख्य अतिथि प्रो.देवदत्त शर्मा जी द्वारा स्वामी विवेकानंद की प्रेरक घटनाओं पर अपने विचार रखे गए।

श्री मानस भट्टाचारजी द्वारा युवाओं और प्रबुद्ध नागरिकों के बीच स्वामी विवेकानंद संदेश विषय पर मार्गदर्शन किया गया। उन्होंने कहा कि "जिस देश में वेदों में कहा गया है अभि: (निर्भय होना)। निर्भयता की बात हमारे वेदों में कही गई । आज उसी देश को हम लोगों ने कैसा बना दिया? जहां सभी लोग डरे सहमे हुए है, आज की युवा पीढ़ी भी डरी हुई है जहां थोड़ी सी असफलता या गलती होने पर आत्म हत्या कर लेते है। इस तरह के उदाहरण बड़े - बड़े शहरों में देखने को मिल रहे है। स्वामी विवेकानंद ने कहां है की हमारे देश में मुक्ति का संदेश दिया गया है। मुक्त होना है इस भय से जिसने हमे गुलामी की जंजीरों में जकड़ कर रखा है और भारत के उत्थान के लिए  मुक्ति का संदेश देना होगा। सभी राष्ट्र अपने हित के लिए जय- जयकार करते हैं। हम भारत माता की जय कहते है। अन्य देश भी अपने देश की जयकार के नारे लगाते है। तो क्या हम सोचते है कि यह सब समान है । जब कोई राष्ट्र उठता है तो सबके हित के लिए है । किंतु ऐसा नहीं है, जब अमरीका जैसा देश अपनी जयकार करता है अथवा आगे बढ़ता है तो उसका पीछे का उद्देश्य होता अन्य सभी देश उससे नीचे गिरे। चीन जैसा देश ऊपर उठता है या अपनी जयकार करता है तो उसके पीछे का उद्देश्य होता है सारे विश्व को अपना गुलाम बनाना। इसी तरह अन्य सभी देश का अपना उद्देश्य होता है। किंतु भारत की जयकार जब होती है तो उसके पीछे का उद्देश्य किसी अन्य देश को नीचा करना नही बल्कि सम्पूर्ण विश्व का कल्याण निहित होता है। भूटान ने कभी नही कहा कि  भारत देश हमारे ऊपर दबाव बना रहा ।इसी तरह भारत ने कभी भी शक्तिशाली होने पर कभी अन्य राष्ट्रों पर दबाव नहीं बनाया। यूनान, रोम,फारस, या यूरोप के कितने ही शक्ति शाली राष्ट्र उठे जिन्हें संपूर्ण विश्व को अपने आतंक से आप्लावित कर दिया था ।किंतु आज वह कहां है ? आज इन सभी राष्ट्रों के स्थान पर्यटन के केंद्र बने हुए है जहां मकड़ी अपना जाला बुन रही है। यह सभी शक्तिशाली राष्ट्र किसी समय उठे और मिट गए किंतु भारत आज भी जीवित है ।"

इसके पश्चात शिमला शहर के प्रसिद्ध संगीतकार एवं प्राध्यापक डॉ. हेमराज चंदेल एवं उनकी टीम द्वारा श्री राम जी के भजन प्रस्तुत हुए। धन्यवाद ज्ञापन विवेकानन्द केंद्र शिमला के नगर संचालक श्री सतीश सागर जी द्वारा दिया गया। कार्यक्रम में भाषा ,कला एवं संस्कृति विभाग, इंडियन साइंस कांग्रेस , एवं स्वामी विवेकानन्द स्टडी सेंटर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का सहयोग रहा। 

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