समर्थ भारत पर्व के तत्वावधान में आज विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी शाखा भागलपुर द्वारा समर्थ भारत पर्व समापन कार्यक्रम ।
स्वामी जी के संदेशों पर विमर्श गोष्ठी का आयोजन भागलपुर केंद्र कार्यालय में समारोह पूर्वक मनाया गया| जिसमें नगर समिति के सदस्यों के साथ केंद्र से जुड़े सभी कार्यकर्ता उपस्थित रहे आयोजन में प्रांत संपर्क प्रमुख डॉ विजय कुमार वर्मा ने अपने संबोधन में उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि आधुनिक भारत का यदि निर्माण करना है तो हमें स्वामी जी की परिकल्पना के अनुसार भारत वासियों में सही शिक्षा का प्रसार करना होगा उनमें मनुष्य का भाव भरना होगा उनके व्यक्तित्व का विकास करना होगा और प्रत्येक व्यक्ति में अंतर्निहित देवत्व की दिव्यता को जागृत करना होगा| स्वामी जी ने हमें बताया कि चरित्र सेवा त्याग और प्रेम के द्वारा ही हम भारत का उत्थान कर सकते हैं अभिनव भारत को किस दिशा की ओर जाना इसका स्पष्ट संदेश विवेकानंद ने दिया है विवेकानंद वो सेतू है जिस पर प्राचीन और नवीन भारत परस्पर आलिंगन करते हैं विवेकानंद समुद्र हैं जिसमें धर्म और राजनीति राष्ट्रीयता और अंतरराष्ट्रीय था तथा उपनिषद और विज्ञान सब के सब समाहित होते हैं केंद्र के कार्यकर्ताओं के द्वारा इस शुभ अवसर पर पूरे नगर में 111स्थानों पर पुष्पांजलि कार्यक्रम शोभा यात्रा स्वामी जी की प्रभात फेरी का कार्यक्रम मनाया गया जिसमें लगभग 2000 श्रद्धालु सम्मिलित हुए भागलपुर विभाग में कुल 118 स्थानों पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें 2322 केय संख्या रही नगरों के अलावे ग्राम स्थानों में भी तिलकपुर गौरीपुर कहलगांव में स्वामी जी की जयंती और समर्थ भारत पर्व धूमधाम से मनाया गया इस सम्पूर्ण कार्यक्रम की योजना में 50 कार्यकर्ताओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही।
समर्थ भारत पर्व की विशेषता को बताते हुए जीवनव्रती धर्मदास ने कहा कि विवेकानंद केंद्र 25 दिसंबर राष्ट्र चिंतन दिवस से राष्ट्री युवा दिवस स्वामी जी की जयंती तक अनेक प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करती है जिसमें युवाओं के बीच भारत की समर्थ-भारत के गौरव गाथा से परिचय कराया जाता है साथ ही साथ हम इस दिन राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए प्रतिज्ञा लेते हैं कि हम भारत के प्राचीन गौरव को प्राप्त करने हेतु स्वामी जी के संदेशों के साथ समाज के भीतर अंतिम व्यक्ति तक की सेवा भाव से कार्य करते रहना है कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन नगर प्रमुख प्रो० मिहिर मोहन मिश्र ने किय।