G20 के अंतर्गत C20 में Diversity Inclusion and Mutual Respect विषय पर आधारित "समाजशाला कार्यक्रम" विवेकानंद केंद्र जबलपुर की शाखा द्वारा आयोजित किया गया जिसमें कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री लक्ष्मण सिंह मरकाम(अति.सचिव सी.एम.कार्यालय म. प्र.शासन) ने अपने उद्बोधन में बताया कैसे पश्चिम (यूरोपियनस) ने Diversity Inclusion and Mutual Respect की अवधारणा को क्षति पहुंचाई थी, अमरीका में ही अकेले मात्र 300 वर्ष के अंदर वहां की मूल जनजातियों का समूल नाश कर दिया था। भारत ही एकमात्र विश्व में ऐसा देश है जहां Diversity Inclusion and Mutual Respect की अवधारणा जीवित है । भारत में "विविधता में एकता" के दर्शन होते हैं विश्व की सबसे ज्यादा जनजातियां यहां मिल जुलकर रहती है। भारत की संस्कृति, विरासत Diversity Inclusion and Mutual Respect के मूल मंत्र को चरितार्थ करती है और विश्व को शांति का मंत्र भी देती है। कार्यक्रम की अगले क्रम में वर्कशॉप का आयोजन हुआ जिसमें नगर के प्रबुद्धजन, बुद्धिजीवियों की उपस्थिति में Diversity Inclusion and Mutual Respect विषय पर गहन चिंतन किया गया, उस वर्कशॉप के निष्कर्ष में धर्म परिवर्तन को पूर्णरूप से प्रतिबंधित करना चाहिए क्योंकि जहां जहां धर्म परिवर्तन हुआ वहां यह देखने में आया Diversity Inclusion and Mutual Respect की अवधारणा समाप्त हो गई क्योंकि उन जनजातियों में धर्म परिवर्तन के बाद आपस में संघर्ष शुरू हो गया। कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी श्री हनुमंत राव जी ने अपने उद्बोधन में " एकम सत विप्रा बहुधा वदंती " के मूल मंत्र का महत्व बताया Diversity Inclusion and Mutual Respect के लिए आवश्यक बताया, conversion is violence, diversity is not division it is a expression of manifestation बताया, विविधता का आदर ही विश्व में शांति को पूर्णरूप से स्थापित कर सकता है, भारत के बिना विश्वशांति की कल्पना नहीं की जा सकती है। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के ख्यातिलब्ध 48 प्रबुद्ध नागरिकों ने कार्यशाला में सहभागिता ली |
विवेकानन्द केन्द्र जबलपुर के नगर संचालक वेदप्रकाश जी ने कार्यक्रम का संयोजन किया |