समानुभूति और सम संवेदन वाले हम भारतीय, जिनके दिल एक ही लय में धड़कते हैं वे एकात्मभाव से परस्पर जुडे है, हालांकि उनकी बोली, पोशाक, भोजन और पूजा उपासना में भिन्नता है। भारत सर्वसमावेशी कल्याणकारी संस्कृति वाला एक प्राचीन राष्ट्र है। इसीलिए दुनिया के कई हिस्सों में सभ्यता और विचारधारा के नाम पर चल रहे खूनी संघर्ष से दुनिया को बचाने की क्षमता रखता है। घुसपैठ, धर्मांतरण और इसकी उत्पत्ति अलगाववाद और आतंकवाद से त्रस्त आठ पूर्वोत्तर राज्यों में से एक जो भारतीय धरती पर आते पहले सूर्य किरण का स्वागत करता है वह अरूणाचल प्रदेश प्राकृतिक संसाधनों और सुंदरता से समृद्ध होने के साथ- साथ सैन्य दृष्टि से भी सामरिक महत्व का है, वहाँ चीन सहित भारत विरोधी शक्तियां इस राज्य को भटकाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। देश की सुरक्षा और गौरव को ध्यान में रखते हुए विवेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी पांच दशकों से शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार के साथ पारंपरिक कला साहित्य और आस्था संरक्षण का कार्य कर रहा है। शेष भारत और अरुणाचल प्रदेश के बीच संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से अरुणाचल बंधु परिवार योजना भी लागू है। इसी शृंखला में गुजरात के सुप्रसिद्ध तीर्थ स्थल पालीताणा में विवेकानन्द केन्द्र शाखा द्वारा शेत्रुंजय पर्वत की तलहटी में स्थित नागनाथ महादेव मंदिर में प्रत्येक श्रावणीय सोमवार को सूर्योदय से सूर्यास्त तक महा मृत्युंजय मंत्र का अखंड जाप पिछले सताइस वर्षों से अरुणाचल प्रदेश की शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए किया जाता है। यह कार्य राष्ट्रीय एकता का अप्रतिम उदाहरण है तथा देश की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक एकता की अभिव्यक्ति है। इच्छुक शिव भक्तों को दर्शन जाप का लाभ लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है।