विवेकानंद केंद्र के संस्थापक मा. एकनाथजी रानडे इनका १०० वा जन्म दिवस १९ नवम्बर २०१४ से १९ नवम्बर २०१५ मनाया गया है। अतः इस अवसर पर विवेकानंद केंद्र इंदौर नगर में समिधा वर्ग का आयोजन किया गया। सम्मलेन में मुख्य रूप से मा. एकनाथजी जन्म शती पर्व के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष श्री कृष्णकुमार अष्ठानाजी व माननीय मध्य प्रान्त संचालक श्री मनोहर देवजी तथा माननीय विभाग संचालक श्री अतुल सेठजी उपस्थित थे। समिधा वर्ग के मुख्य वक्ता श्री कृष्णकुमार अष्ठानाजी ने मा. एकनाथजी के जीवन पर प्रकाश डालते हुआ बताया की .......
- मा. एकनाथजी के जीवन का केंद्र बिंदु यह स्वामी विवेकानंद थे,
- स्वामीजी के विचारों का सारांश याने मा. एकनाथजी का जीवन था,
- शिलास्मारक के लिए एक रूपये के माध्यम से पैसा इकट्ठा करना यह उद्देश्य नहीं था तो सभी का सहयोग हो यह भाव था,
- मा एकनाथजी ने पुरे देश में अनुकुल वातावरण निर्माण किया, नेहरूजी के सन्देश को समझने वाले श्री भक्त्वत्सलम को भी इस कार्य के लिए तैयार किया,
- प्रबुद्ध देश की सोच रखते है और युवा देश का इतिहास बदलते है,
- हमारे राष्ट्र के समक्ष चुनौतिया बहुत बढ़ी है और इसीलिए कार्यकर्ता ने संगठन के माध्यम से मेरी भूमिका इस राष्ट्र कार्य में क्या है यह तय करना है,
- जीवन एक ध्येय होने से कोई भी कार्य कठिन नहीं होता,
- मा. एकनाथजी के लिए स्वामीजी थे और कार्यकर्ता के लिए मा. एकनाथजी है,
अंत में आवाहन किया की सभी कार्यकर्ता अपना आवश्यक समय दे और स्वामीजी के स्वप्न और मा. एकनाथजी के मिशन को पूर्ण करने में अपनी शक्ति लगाये। मा प्रान्त संचालक श्री मनोहर देवजी ने इंदौर नगर का कार्य और दृढ़ करे ऐसा आवाहना किया तथा श्री अतुल सेठजी ने केंद्र का परिचय दिया। सम्मलेन में कुल ७० कार्यकर्ता ने भाग लिया।