उपरोक्त उद्गार श्री जय नारायण स्नातकोत्तर महाविद्यालय में, ’’विष्व बंधुत्व दिवस’’ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व डी0जी0पी0 प्रकाष सिंह ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि एक आदर्ष लेकर पूरा जीवन उसमें बिता दो तभी सफलता मिल सकती है। एक सीमा के बाहर पैसे का सुख नहीं है। विद्यार्थी जीवन में पढ़ा हुआ जीवन भर नहीं भूलता। यही समय है स्वामी विवेकानन्द जी का ’श्रेष्ठ साहित्य’ अवष्य पढ़ो। आज मूल्यों का बराबर ह्रास हो रहा है। स्त्रियों के प्रति अपराध नित्य बढ़ रहें हैं। भारत को इस समय इस समस्या से निकालने की आवष्यकता है जोकि स्वामी जी के आदर्षों पर ही चलकर सम्भव है।
विषिष्ठ अतिथि डी0एन0 लाल ने बताया कि षिकागो वक्तब्य के बाद पष्चिमी देषों ने उन्हें अपने सभी दार्षनिकों से ज्ञानी पुरूष कहा था। यह कार्यक्रम श्री जय नारायण स्नातकोत्तर महाविद्यालय और विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी शाखा लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में स्वामी विवेकानन्द जी के द्वारा षिकागो की धर्म सभा में दिए गए भाषण की स्मृति में आज 11 सितम्बर, 2014 को विष्व बधुत्व दिवस मनाया गया। इस अवसर पर राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका स्वामी विवेकानन्द की दृष्टि में एक विष्वविद्यालयी स्तर की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्री षिव पूजन सिंह, संयोजक, विवेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी शाखा लखनऊ ने किया। प्रतियोगिता में विष्वविद्यालय के दस महाविद्यालय डा0 राजेन्द्र प्रसाद मेमोरियल डिग्री कालेज, बी0एस0एन0वी0 कालेज, नेषनल पीजी कालेज, नवयुग कन्या महाविद्यालय, मुमताज पीजी कालेज, रामाधीन कालेज, कालीचरन पीजी कालेज, गुरूनानक गल्र्स कालेज, संस्कृत पाठषाला और श्री जय नारायण महाविद्यालय के प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया जिसमें प्रथम पुरस्कार प्रज्ञा पटेल, रामाधीन पीजी कालेज, द्वितीय पुरस्कार राहेला, नवयुग कन्या महाविद्यालय और तृतीय पुरस्कार सुजीत कुमार कुषवाहा, जय नारायण पीजी कालेज को मिला।
इस प्रतियोगिता के निर्णायक मण्डल में प्रकाष सिंह, डी0एन0 लाल, डा0 अनुराधा विनायक, डा0 संगीता शुक्ला और प्रमोद सक्सेना थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा0 एस0 डी0 शर्मा, प्राचार्य, श्री जय नारायण स्नातकोत्तर महाविद्यालय ने की। कार्यक्रम में डा0 सुषमा मिश्रा,पूर्व कार्यक्रम समन्वयक, राष्ट्रीय सेवा योजना, लखनऊ विष्वविद्यालय, श्री अंषुमालि शर्मा, मुख्य कार्यक्रम अधिकारी, राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डा0 अनिल त्रिपाठी के साथ कई स्वयंसेवक उपस्थित थे।