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vimarsh-jodhpur-dec-2019

समाज में समय-समय पर जो विकृतियां आ जाती है, उसके निवारण का उपाय आध्यात्म ही है। न्यायपालिका व कार्यपालिका की कार्य प्रणाली विज्ञान और आध्यात्म के सामांजस्य पर ही निर्भर करती है। कालान्तर में समाज में उत्पन्न विकृतियों के निवारण हेतु कानूनी उपायों के साथ साथ समाज में जीवन मूल्यों की पुनः प्रतिस्थापना भी आवश्यक है।

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भगवत गीता का पारायण युवावस्था से ही प्रारंभ होना चाहिए। गीता में जीवन जीने की कला भगवान श्रीकृष्ण ने बताई है, और यह हर व्यक्ति को अपने युवा काल में ही ज्ञात होनी चाहिए। भगवत गीता में आज के व्यक्तिगत और सामाजिक हर समस्या का समाधान है।

जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति श्री आर.पी. सिंह ने कहा है कि स्वामी विवेकानंद का पूरा जीवन और चिंतन सकारात्मक एवं आत्मविश्वास से परिपूर्ण था। श्री सिंह ने युवाओं से आव्हान् किया कि वे भी स्वामीजी की तरह अपने सामर्थ को पहचानें, तभी भारत की तस्वीर बदलेगी।   

Samidha at Jodhpurविवेकानन्द शिलास्मारक के प्रणेता और विवेकानन्द केंद्र कन्याकुमारी के संस्थापक माननीय एकनाथजी रानडे की जन्मशती पर्व के उपलक्ष्य में जोधपुर शाखा द्वारा, गीताभवन स्थित योगक्षेम भवन में ‘समिधा’ कार्यकर्ता मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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