उत्तिष्ठत! जाग्रत!! प्राप्यवरान्निबोधत!!! उठो, जागो और जब तक लक्ष्य प्राप्त न कर लो, कही मत ठहरो। दौर्बल्य के मोहजाल से बाहर निकलो, कोई वास्तव में दुर्बल नहीं है। आत्मा अनंत, सर्वशक्तिमान एवं सर्वव्यापी है। खड़े हो जाओ, स्वयं को झकझोरो, अपने अन्दर व्याप्त ईश्वर का आवाहन करो।