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योग दर्शन पर 7वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, जिसे योग शास्त्र संगमम् के नाम से भी जानते है, 2 से 4 फरवरी 2024 तक विवेकानंदपुरम कन्याकुमारी में आयोजित किया गया। इसमें 458 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें से 202 पुरुष और 256 महिलाएं थीं। प्रतिनिधि भारत के 16 राज्यों  (तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बंगाल, बिहार एवं दिल्ली) और 8 अन्य (संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, बाली, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इथियोपिया, नामीबिया, तंजानिया) देशों से थें। इस संगमम में 33 प्रसिद्ध योग और संस्कृत संस्थानों (योग चेतना अकादमी, अमृता विद्यालय, अरुणयोग प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान, भारत योग विद्यालय, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय, चैतन्य कल्याण योग अकादमी, चिन्मय विश्व विद्यापीठ, डीएवीवी स्कूल ऑफ योग, भारतीय योग संघ, कर्नाटक संस्कृत विश्वविद्यालय, कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, कुश योग, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, बोधि स्कूल ऑफ योगा, एनआईएमएचएएनएस, पद्म योग साधना टेरना मेडिकल कॉलेज, पीएसजीआर, साधना ज्योति मंदिर, सनातन योग केंद्र, सांची बौद्ध भारतीय अध्ययन विश्वविद्यालय, सतगुरु योग विद्यालय, श्री अंबिका योग कुटीर, श्री कृष्ण योग संस्थान, श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, श्रीपुरम योग मंदिर, एसवीवाईएएसए, पतंजलि विश्वविद्यालय, येनेपोया प्राकृतिक चिकित्सा और योग चिकित्सा कॉलेज, योग भारती, योग सर्टिफिकेट बोर्ड, आयुष मंत्रालय, योग विद्या निकेतन, योगार्थी)का प्रतिनिधित्व रहा। चार स्थानों पर एक साथ सत्र चलते थे, इसमें 20 योग-उपनिषदों से 124 शोध पत्र प्रस्तुत किये गये। प्रतिदिन सुबह, लगभग 100 प्रतिनिधियों ने पतंजलि होम में भाग लिया, जो योग सूत्र और महर्षि पतंजलि के 108 नामों के जाप के साथ किया जाता था।

विश्व प्रसिद्ध योग एवं आयुर्वेद आचार्य वामदेव शास्त्री डॉ. डेविड फ्रॉले, योगिनी शांभवी देवी के साथ तीनों दिन उपस्थित रहे। उनकी उपस्थिति और ज्ञान ने सभी प्रतिनिधियों को प्रेरित किया और चर्चाओं और बातचीत में अत्यधिक आनंद प्रदान किया। 

उद्घाटन सत्र: योग शास्त्र संगमम् का उद्घाटन सत्र 2 फरवरी को विवेकानन्द सभागृहम् में आयोजित किया गया। मननीय श्री बालाकृष्णनजी (अध्यक्ष, विवेकानन्द शिला श्मारक एवं विवेकानन्द केन्द्र), आचार्य वामदेव शास्त्री, योगिनी शाम्भवी, डॉ. हरिलक्ष्मेन्द्र कुमार (निदेशक और प्राकृतिक चिकित्सा, योग केन्द्र , महात्मा गांधी विश्वविद्यालय), योगश्री एन.वी. रघुराम (संस्थापक निदेशक, योग भारती, बेंगलुरु) ने अपनी उपस्थिति से प्रतिनिधियों को मागदर्शन दिया। अपने उद्घाटन भाषण में, डॉ. डेविड फ्रॉली ने वर्तमान दुनिया में योग उपनिषद् की उपयोगिता और ज्ञान को उजागर करने के लिए ऐसे सम्मेलनों के महत्व और आवश्यकता पर जोर दिया, जिसमें योग को केवल स्वास्थ्य और फिटनेस के लिए मान्यता मिल रही है। ऐसे दार्शनिक सम्मेलनों का प्रभाव सिद्धांत और व्यवहार में योग को समझने की दिशा को सही करेगा। उद्घाटन समारोह के दौरान 174 पृष्ठों की सम्मलेन स्मारिका पुष्तिका प्रसारित की गई, जिसमें प्रस्तुत किए गए सभी शोध पत्रों के सार और सारांश शामिल थे। वी. के. एम. एच. एस. एस, कन्याकुमारी के छात्रों द्वारा प्रतिनिधियों का मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया गया। माता कन्याकुमारी एवं स्वामी विवेकानन्द की तापस-स्थली विवेकानन्द शिला स्मारक का भी दर्शन कर एक नई उर्जा प्राप्त किया।

समापन सत्र: समापन सत्र में डॉ. डेविड फ्रॉले, योगिनी शांभवी, डॉ. के सुब्रमण्यम ( प्रो-चांसलर, एसवीवाईएएसए, बेंगलुरु ), योगश्री एनवी रघुराम, श्री टी रघुनंदन, डॉ. के पद्मनाभन, (विजिटिंग फैकल्टी, योग विभाग, महात्मा गाँधी विश्वविद्यालय, कोट्टायम ) ने संबोधित किया। समापन समारोह 4 फरवरी को सभी प्रतिनिधियों द्वारा योग सूत्र के उच्चारण के साथ आयोजित किया गया। शोधपत्र प्रस्तुत करने वाले सभी 124 विद्वानों ने आचार्य वामदेव शास्त्री और योगिनी शांभवी से अपने प्रमाण पत्र प्राप्त किए।

अंग्रेज़ी रिपोर्ट पड़े >>>>

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