श्रद्धांजलि
श्री मुरलीधरजी वैष्णव
(९ फरवरी, १९४६ - २४ जून, २०२३)
विवेकानन्द केन्द्र हिन्दी प्रकाशन विभाग के सम्मानीय सदस्य श्री मुरलीधरजी वैष्णवजी का गत माह २४ जून को निधन हो गया। श्री वैष्णवजी जोधपुर के पूर्व जिला न्यायाधीश थे। वे एक उत्तम न्यायाधीश ही नहीं थे बल्कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार भी थे। उनके चले जाने से राजस्थान के साहित्य जगत में शोक है। अपनी मृदु मुस्कान और आत्मीयतायुक्त व्यवहार से सबका दिल जीत लेते थे। उनका सरल स्वभाव उनके व्यक्तित्व की विशेषता थी। उत्तम कवि, श्रेष्ठ लघु कथाकार एवं कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्ट पहचान है। केन्द्र भारती में उनके अनेक आलेख, कहानियाँ व कविताएं प्रकाशित हुई हैं।
श्री मुरलीधर वैष्णवजी की आठ पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, - तीन कहानी संग्रह (पीड़ा के स्वर, अक्षय तूणीर, कितना कारावास), एक काव्य संग्रह (हैलो बसंत), चार बालकथा-संग्रह (पर्यावरण चेतना की बाल कथाएँ, चरित्र विकास की बाल कहानियाँ, जल और कमल तथा अबु टावर) एक बाल गीत संग्रह (चींटी का उपकार)।
श्री मुरलीधरजी वैष्णवजी की दर्जनों कहानियाँ, लघु कथाएँ, कविताएँ व आलेख राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। राजस्थानी में कविताएँ व अंग्रेजी में अनेक आलेख राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिका व जर्नल्स में प्रकाशित हुई हैं।
उन्हें अब तक राजस्थान साहित्य अकादमी के विशिष्ट साहित्यकार सम्मान सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। ऐसे विख्यात साहित्यकार और महान व्यक्तित्व श्री मुरलीधरजी वैष्णवजी के चले जाने पर विवेकानन्द केन्द्र परिवार उनके प्रति अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है। हम परमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करें।