विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी शाखा इन्दौर की और से गुरुपूर्णिमा उत्सव मनाया गया | स्वामी विवेकानंदजी के vision को मा. एकनाथजी ने mission के रूप में रखा| स्वामीजी ने कहा था " मै ऐसे मंदिर का निर्माण करना चाहता हु जिसके अंतर्गत सभी पन्थो के लोग एकत्रित हो और ॐ कार यह सभी पंथो में सर्व मान्य है |”
इसी विचार को लेकर मा. एकनाथजी ने केंद्र में गुरु के स्थान पर ॐ कार की स्थापना की | कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री अतुल शेठजी (नगर प्रमुख विवेकानन्द केन्द्र शाखा इन्दौर) ने बताया की अपनी भावनाओं को पुन: एक मन से एकत्रिक करने का कार्यकर्ता के लिये यह है | हमारे यहा गुरु याने जिसने राष्ट्र के लिये चिंतन कर विश्व के लिये कार्य किया जिसे हम ऋषि कहते है | श्री अतुल शेठ जी ने की ज्ञान के पाच आयाम बताये जो हमारे ऋषि ने हमे दिये है |
१. ज्ञान (ज्ञान को अर्जीत करना पडता है)
२. साहस(ज्ञान के साथ आवश्यक है साहस)
३. दिक्षा (दिक्षा अर्थात दक्षता, ज्ञान के प्रती दक्षता )
४. प्रसाद(ज्ञान को प्रसाद भाव से ग्रहण करना है और प्रसाद भाव से ही वितरित करना चाहिये)
५. दान(ज्ञान के दान मे हमारा विकास होना है)
साथ ही बताया की हमारे कार्य मे निरंतरता रहनी चाहिये, ऋषि मुनियों के दिनचर्या मे सबसे अधिक स्थान निरंतरता को था | अवतार यह हमारे में से निर्माण होगे उसके लिये हमे संगठित होकर प्रयास करना होंगा. विश्व के कल्याण के लिये हमे हमारे ऋषियों ने जो जिवन पद्धती दि है उसे अपनाना होंगा |
कार्यक्रम मे विवेकानन्द केन्द्र के दायित्ववान कार्यकर्ता तथा शुभचिंतक उपस्थित थे |